राज्य सरकार ने हिंदी के राजभाषा का दर्जा किया बहाल, शुरू हुआ विरोध
पुणे: राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार ने हिंदी के राजभाषा के दर्जे को फिर से बहाल कर दिया है। सरकार ने राज्य हिंदी साहित्य अकादमी को पुनर्गठन करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है। राज्य सरकार के इस निर्णय पर विरोध शुरू हो गया है। राज्य के साहित्यकार कहने लगे हैं कि, हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है।
सांस्कृतिक मंत्री होंगे अध्यक्ष
राज्य के सांस्कृतिक मामलों के विभाग द्वारा राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का पुनर्गठन किया गया है। अकादमी के पुनर्गठन के संबंध में जारी सरकारी अध्यादेश में कहा कि, "हिंदी राष्ट्रभाषा होने के कारण हिंदी साहित्य की उन्नति और प्रचार-प्रसार के लिए राज्य में हिंदी साहित्य अकादमी की स्थापना की गई है। इसी के साथ सांस्कृतिक मामलों के मंत्री हिंदी अकादमी के अध्यक्ष होंगे।
सांस्कृतिक मामलों के सचिव सदस्य हैं जबकि महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के संयुक्त निदेशक समिति के सदस्य सचिव हैं। डॉ. शीतला प्रसाद दुबे समिति के कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। उनके साथ हिंदी साहित्य और अनुवाद के क्षेत्र के 28 विशेषज्ञों को गैर-सरकारी सदस्य के रूप में समिति में शामिल किया गया है।
हिंदी को राष्ट्रभाषा कब घोषित किया गया?
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता अनिल शिदोरे ने कहा, "'चूंकि हिंदी राष्ट्रभाषा है...' सरकार के फैसले की प्रस्तावना में पहला वाक्य है। हिंदी को राष्ट्रभाषा कब घोषित किया गया? हमारा मानना है कि हिंदी अंग्रेजी के साथ-साथ एक प्रशासनिक भाषा या एक औपचारिक भाषा है। कृपया स्पष्ट करें।"
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