प्रधानमंत्री मोदी ने किया इंडियन साइंस कांग्रेस का उद्घाटन, कहा- डेटा और टेक्नोलॉजी भारत के विज्ञान को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती

नागपुर: नागपुर में आयोजित हो रही 109 वी इंडियन साइंस कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल अपना संबोधन दिया।इस दौरान अपने भाषण में पीएम ने कई अहम बातों को रेखांकित करते हुए भारत के विज्ञान क्षेत्र,वैज्ञानिकों की देश के विकास में दिए जा रहे योगदान का भी जिक्र किया।पीएम ने कहा की अगले 25 वर्षो में भारत जिस मुकाम में खड़ा होगा उसमे भारत के वैज्ञानिक और विज्ञान क्षेत्र की भूमिका बेहद अहम होगी। पीएम ने कहा की जब विज्ञान में पैशन के साथ देश सेवा का संकल्प जुड़ जाता है तो परिणाम और अभूतपूर्व आते है.
मुझे विश्वास है की भारत का विज्ञान क्षेत्र 21 वी सदी में भारत को वह मुकाम हासिल कराएगा जिसका वो हक़दार रहा है.ऑब्जर्वेशन विज्ञान का मूल आधार है इसके जरिये वैज्ञानिक पैटर्न को फॉलो करते है फिर उन्हें एनालाइज करते है.इसके बाद किसी नतीजे पर पहुंचते है.इस दौरान एक वैज्ञानिक के लिए हर कदम पर डेटा जुटाना और उसे एनालाइज करना बहुत महत्वपूर्ण है.21 वी सदी के आज के भारत में हमारे पास डेटा और टेक्नोलॉजी बहुतायत में है.इस दोनों में भारत के विज्ञान को नई बुलंदियों पर पहुंचाने की क्षमता है.
डेटा एनालिसिस की फील्ड तेजी से बढ़ रही है.ये इन्फॉर्मेशन को इनसाइट में और इन्फॉर्मेशन को एक्सनएबल नॉलेज में बदलने में मदत करता है.चाहे ट्रडिशनल नॉलेज हो या मॉर्डन टेक्नोलॉजी ये दोनों साइंटिफिक डिस्कव्हरी में मदतगार होती है इसलिए हमें अपने साइंटिफिक प्रोसेस को और मजबूत बनाने के लिए अलग-अलग टेक्नोक्लोजी के लिए खोजी प्रवृत्ति को विकसित करना होगा। आज का भारत जिस वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ रहा है हम उसके नतीजे भी देख रहे है.
विज्ञान के क्षेत्र में भारत विश्व से शीर्ष देशो में तेजी से शामिल हो रहा है. 2015 तक हम हम 130 देशो की ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81 वें नंबर पर थे.लेकिन 2022 में छलांग लगाकर हम 40 वें नंबर पर पहुंच गए है.आज भारत पीएचडी के मामले में दुनिया में टॉप थ्री में है.स्टार्टअप ईको सिस्टम के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है.मुझे इस बात की ख़ुशी है की इंडियन साइंस कांग्रेस की थीम एक ऐसा विषय है जिसकी दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है.विश्व का भविष्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट के साथ ही सुरक्षित है.साइंस कांग्रेस ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट के विषय को वुमन इम्पावरमेंट के साथ जोड़ा है.मै मनाता हूँ की व्यावहारिक रूप से भी यह दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए है.
आज देश की सोच केवल यह नहीं है की सिर्फ विज्ञान से वुमन इम्पावरमेंट करे बल्कि महिलाओं की भागीदारी से विज्ञान का भी इम्पावरमेंट करें। विज्ञान और रिसर्च को नई गति दे अभी भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता की जिम्मेदारी मिली है.जी-20 के प्रमुख विषयों में भी महिला आधारित विकास एक बड़ी प्राथमिकता का विषय है.बीते 8 वर्षो में भारत से गवर्नेंस से लेकर सोसायटी से इकोनॉमी तक इस दिशा में कई ऐसे असाधारण काम किये है.जिनकी आज चर्चा हो रही है.आज भारत में मुद्रा योजना के जरिये छोटे उद्योगों और व्यवसायों में भागीदारी हो या स्टार्टअप विश्व में लीडरशिप महिलायें हर जगह अपना दम दिखा रही है.बीते 8 वर्षो में एक्स्ट्रा मोरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट में महिलाओं की भागीदारी दोगुनी हुई है.
महिलाओं की बढ़ती भागेदारी इस बात का प्रमाण है कि समाज भी आगे बढ़ रहा है.और देश में विज्ञान भी आगे बढ़ रहा है.किसी भी वैज्ञानिक के लिए असल चुनौती यही होती है की वो अपने ज्ञान को ऐसे एप्लिकेशन में बदल दे जिससे दुनिया की मदत हो सके.जब वैज्ञानिक अपने प्रयोगों से गुजरता है तो उसके मन में यही सवाल रहता है कि क्या इससे लोगों का जीवन बेहतर होगा। या खोज से विश्व की जरूरतें पूरी होगी। विज्ञान के बड़े प्रयास तभी बदल सकते है जब वो लैब से निकलकर लैंड तक पहुंचे। जब उसका प्रयास ग्लोबल से निकलकर ग्रास रूट तक हो। जब उसका विस्तार जनरल से लेकर ज़मीन तक हो जब बदलाव रिसर्च से होकर रियल लाइफ में दिखने लगे.जब विज्ञान की बड़ी उपलब्धियां एक्सपेरिमेंट से लेकर लोगों के एक्सपीरियंस का सफर तय करती है तो इससे एक अहम सन्देश जाता है.
ये बात युवाओं को प्रभावित करती है.वो सोचते है की साइंस से जरिये वो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकते है.ऐसे युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क की जरुरत होती है.ताकी उनकी आकांक्षाओ का विस्तार किया जा सकें। उन्हें नए अवसर दिए जा सकें। मैं चाहूंगा की इंडियन साइंस कांग्रेस में मौजूद वैज्ञानिक एक ऐसा इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क विकसित करें जो युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करें और आगे बढ़ने का मौका दे.टैलेंट हंट और हैकेथोन के आयोजन के जरिये साइंटिफिक सोच रखने वाले बच्चों की तलाश की जा सकती है.इसके बाद उन बच्चों की समझ को प्रॉपर रोड मैप के जरिये विकसित किया जा सकता है.
भारत में साइंस का विकास हमारे वैज्ञानिक समुदाय की मूल प्रेरणा होनी चाहिए।भारत में विज्ञान भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाला होना चाहिए। हमें यह भी याद रखना चाहिए की विश्व की 17-18 फीसदी मानव आबादी भारत में रहती है.ऐसे वैज्ञानिक काम जिनसे भारत की जरूरतें पूरी होंगी। उनसे विश्व की 17-18 प्रतिशत मानवता को गति मिलेगी।

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