शुरू हुई 12वीं बोर्ड की परीक्षा, लेकिन इस साल नतीजे आने में होगी देरी; यह है कारण

नागपुर: राज्य में 12वीं बोर्ड की परीक्षा शुरू हो गई है। लाखों की संख्या में छात्र आज परीक्षा देने अपने केंद्र पर पहुंचे। इस साल भले ही परीक्षा अपने तय समय पर शुरू हुई हो, लेकिन नतीजे आने में देरी हो सकती है। दरअसल, राज्य में शिक्षा और शिक्षकों की मांगों को लेकर सरकार की उपेक्षा से शिक्षकों में व्यापक असंतोष है। इसी को देखते हुए विजुक्ता और फेडरेशन ने 12वीं की परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार किया हुआ है। जिसका असर नतीजों पर पड़ने की प्रबल संभावना है, जिसके कारण नतीजों के देरी से आने की आशंका जताई जा रही है।
वहीं इस पर विजुक्ता के अध्यक्ष डॉ. अविनाश बोर्डे ने कहा कि, शिक्षा क्षेत्र और शिक्षकों के मुद्दे लंबे समय से लंबित हैं। उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बार-बार सरकार को ज्ञापन देने के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इससे प्रदेश के शिक्षकों में काफी असंतोष है। मांगों को पूरा करने के लिए 5 सितंबर शिक्षक दिवस से विभिन्न चरणों में तहसील और जिला स्तर पर विभिन्न आंदोलन किए गए। लगातार मांगों पर आंख मूंदने के कारण विजुकाता व फेडरेशन ने 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार किया।
यह है मांगे:
- 1 नवम्बर 2005 से पूर्व अनुदान रहित एवं आंशिक अनुदान प्राप्त शिक्षकों की नियुक्ति हेतु पुरानी पेंशन योजना लागू की जाये, सेवानिवृत शिक्षकों को इस योजना का लाभ तत्काल दिया जाए।
- 1 नवंबर 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
- चयन श्रेणी के लिए 20 प्रतिशत की शर्त समाप्त की जाए।
- कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से अतिरिक्त पद स्वीकृत होने चाहिए तथा आईटी विषय में अनुदान दिया जाना चाहिए।
- अनुदानित वाले घोषित अघोषित उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को आंशिक रूप से अनुदानित विद्यालयों और प्राथमिक विद्यालयों को प्रचलित सब्सिडी फार्मूले के साथ तुरंत लागू किया जाना चाहिए।
- अनुदान के लिए कठिन शर्तों को समाप्त किया जाना चाहिए।
- 1 दिसंबर, 2022 से गैर सहायता प्राप्त से सहायता प्राप्त में स्थानांतरण पर रोक को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
- शिक्षकों के रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए।
- जूनियर कॉलेज छात्र नामांकन मानदंड स्कूल कोड के अनुसार होना चाहिए।
- एम.फिल., एम.एड., पीएचडी धारक शिक्षकों को उच्च शिक्षा के अनुसार वेतन वृद्धि दी जानी चाहिए।
- शिक्षकों ने विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन किया है, जिसमें अंशकालिक शिक्षकों के पूर्णकालिक बनने के बाद वेतन वृद्धि और अन्य लाभों के लिए अंशकालिक सेवा की अवधि को शामिल किया जाना शामिल है।

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