logo_banner
Breaking
  • ⁕ जय ओबीसी जय संविधान के नारे से गूंजा नागपुर, विजय वडेट्टीवार की अगुवाई में निकला महामोर्चा; दो सितंबर को जारी जीआर को रद्द करने की मांग ⁕
  • ⁕ वाठोड़ा में महिला की रहस्यमयी हत्या, घर में तकिए से मुंह दबाकर उतारा मौत के घाट; पुलिस के लिए बनी पहेली ⁕
  • ⁕ WCL खदान में हादसा, क्रेन के नीचे मिला वेकोलि कर्मी का शव; हत्या या आत्महत्या की आशंका ⁕
  • ⁕ Nagpur: सड़क किनारे नाले में मिला युवक का शव, कामठी शहर की घटना ⁕
  • ⁕ Amravati: मेलघाट में मातृ मृत्यु 'ट्रैकिंग' व्यवस्था सिर्फ़ कागज़ों पर... छह महीने में नौ की मौत ⁕
  • ⁕ Amravati: अमरावती, अकोला और नागपुर के बाज़ारों में मेलघाट का स्वादिष्ट सीताफल ⁕
  • ⁕ विदर्भ की 71 नगर परिषदों में अध्यक्ष पदों का हुआ बंटवारा, जानिए किस वर्ग के नाम हुआ कौन-सा शहर! ⁕
  • ⁕ विदर्भ सहित राज्य के 247 नगर परिषदों और 147 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद का आरक्षण घोषित, देखें किस सीट पर किस वर्ग का होगा अध्यक्ष ⁕
  • ⁕ अमरावती में युवा कांग्रेस का ‘आई लव आंबेडकर’ अभियान, भूषण गवई पर हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ⁕
  • ⁕ Gondia: कुंभारटोली निवासियों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर नगर परिषद पर बोला हमला, ‘एक नारी सबसे भारी’ के नारों से गूंज उठा आमगांव शहर ⁕
Nagpur

अनिल देशमुख ने केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल को लिखा पत्र, कपास को 10 से 12 हजार रुपये प्रति क्विंटल भाव देने की मांग


नागपुर: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख ने केंद्रीय उद्योग मंत्री पियूष गोयल को पत्र लिखा है। अपने इस पत्र में देशमुख ने कपास उत्पादक किसानों को कपास का प्रति क्विंटल 10 से 12 हजार रूपये देने की मांग की है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि, मौजूदा समय में सरकार द्वारा कपास को लेकर जो एमएसपी तय किया गया है इससे किसानों की लागत तक नहीं निकल रही है। 

देशमुख ने कहा, “इस सीजन के अंदर  राज्य में 42.11 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई की जा चुकी है। पिछले साल में 39.36 लाख हेक्टेयर में कपास बोई गई थी। पिछले साल की तुलना में कपास की खपत में 7 फीसदी बढ़ गया है। जुलाई से अगस्त माह के दौरान राज्य भर में अतिवृष्टि के कारण कपास फसल पर इसके प्रतिकूल प्रभाव से कपास का उत्पादन घटा है।”

किसानों को हो रहा बड़ा नुकसान 

उन्होंने आगे कहा, “बीज, खाद सहित मजदूरी भी बढ़ गई है, जिससे कपास उत्पादन की लागत बढ़ गई है। खेती में लगने वाली लागत बढ़ने के कारण सरकार द्वारा तय मूल्य पर कपास बेचना घाटे का सौदा साबित हो रहा है। वहीं सेबी ने कपास को वायदा बाजार से बाहर नहीं किया। जनवरी 2023 को प्रतिबंधित और बाद में सौदे। इसके चलते देश में कपास का रेफरेंस प्राइस रुक गया है निर्माताओं के साथ-साथ व्यापारियों में भी भ्रम की स्थिति थी। दूसरी ओर कपास की कीमतों पर किसानों का दबाव रहा कुई। 600 से 800 रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है।”

निर्यात रुकने से किसानों को नुकसान 

पिछले वर्ष के 13 लाख गांठ की तुलना में इस वर्ष 30 लाख गांठ का निर्यात किया गया है निर्यात घटा है। साथ ही अब तक 12 लाख गांठ का आयात होने से भी कपास की कीमतों में गिरावट आई है और इससे कपास की कीमत गिर गई। तो वर्तमान में कपास की दरें 8300 से 8500 रूपये क्विंटल तक आ गए हैं। इसलिए हमारी मांग है कि निर्यात को बढ़ावा दिया जाए और कपास का आयात किया जाए आयात शुल्क में कमी किए बिना गांठों का पुन: आयात किया जाना चाहिए। इस प्रकार कपास के भाव वृद्धि होगी और इससे कपास उत्पादक किसानों को लाभ होगा और उनकी उत्पादन लागत कम होगी लागत समाप्त हो जाएगी और कपास का उत्पादन करना उनके लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य हो जाएगा।