शांतिनगर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, छोटा हाथी भर कर नायलॉन मांजा पकड़ाया; दो आरोपी गिरफ्तार

नागपुर: मकर संक्रांति के मौके पर नायलॉन मांझे की अवैध बिक्री बढ़ जाती है। पुलिस इस पर रोक लगाने के लिए लगातार कदम उठा रही है, लेकिन इसके बावजूद मांझे की अवैध बिक्री करने वाले बाज नहीं आ रहे हैं। इसी बीच रविवार को शांतिनगर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रतिबंधित मांझे की बिक्री करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से एक छोटा हाथी जितना नायलॉन मांझा भी जब्त किया है। पकडे गए आरोपियों का नाम हविशेख रफीक शेख (20, बंगाली पंजा) और राजेश प्रभु धुर्वे (35, तहसील) है। वहीं तीसरा आरोपी कल्याणी फरार है। इस दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से 538 चकरी जिसकी कीमत 3,92,400 सहित छह लाख का सामान जब्त किया है।
मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि, आरोपी प्रतिबंधित नायलॉन मांजा बिक्री करने के लिए ले जाने वाले हैं। पुलिस ने जाल बिछाकर दही बाजार पुलिया पर छोटा हाथी क्रमांक MH31DS1796 को रोका। पुलिस को देखते ही आरोपी गाड़ी छोड़कर भागने लगे। हंलांकि, पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया, लेकिन वाहन चालक भागने में कामयाब हो गया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि, मोमिनपुरा से माल भर कर आरोपी कलमना में ले जा रहे थे। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर फरार आरोपी की खोजबीन शुरू कर दी है।
दो दिन में 11 आरोपी पकड़ाए
प्रतिबंधित नायलॉन मांझे को लेकर शहर पुलिस लगातार अभियान चला रही है। इसी क्रम में शनिवार को अलग-अलग थाना क्षेत्र में मांझे की अवैध बिक्री करने के मामले में नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इस दौरान आरोपियों ने एक लाख 85 हजार से ज्यादा का नायलॉन मांझा जब्त किया था। पहला मामला कोरडी थाना क्षेत्र में हुए था जहां पुलिस ने माझे की बिक्री करने को लेकर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। वहीं दूसरी कार्रवाई कोतवाली पुलिस ने की। इस दौरान पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया। दोनों कार्रवाई में पुलिस न क्रमशः 1,13,000 और 72,000 हजार का सामना जब्त किया।
सोशल मीडिया से होरी डील
अवैध बिक्री के दोनों मामलों में एक बेहद चौकाने वाली जानकारी सामने आई। जिसके तहत फेसबुक, इंस्टग्राम और व्हाट्सअप के जरिए मांझे की डील की गई। आरोपियों ने बताया कि, खरीददार उन्हें सोशल मीडिया की मदद से कितना मांझा चाहिए यह बताते थे। उसकी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाती थी। आरोपियों ने बताया कि, सोशल साइट्स की मदद से कहां डिलीवरी देनी है इसका पता भी बता देते थे। अभी तक खरीदी-बिक्री छुपकर होती थी, जिससे आरोपियों को पकड़ने में पुलिस को मदद मिलती थी, लेकिन सोशल मीडिया में डील होने से पुलिस के सामने चुनौती खड़ी हो गई है।

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