27 से 29 सितंबर के बीच विदर्भ सहित मराठवाड़ा में होगी मूसलाधार बारिश, किसानों की बढ़ेगी मुश्किलें

नागपुर: राज्य में इस समय भारी बारिश हो रही है, जिससे कई जिलों में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। नदियाँ उफान पर हैं, खेत जलमग्न हो गए हैं और सड़क व रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भारी बारिश से कृषि फसलों को भारी नुकसान हुआ है, खासकर मराठवाड़ा, विदर्भ और कोंकण क्षेत्रों में। इसी पृष्ठभूमि में, मौसम विभाग ने एक और चेतावनी जारी की है और स्पष्ट किया है कि 27 सितंबर से बारिश की तीव्रता फिर से बढ़ जाएगी। अनुमान है कि बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण बारिश और तेज़ हो जाएगी। इससे किसानों और आम नागरिकों की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना है और पश्चिम की ओर बढ़ रहा है। इसके प्रभाव से 27 से 29 सितंबर के बीच राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है। कोंकण क्षेत्र में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है और मराठवाड़ा व विदर्भ के कुछ हिस्सों में बिजली गिरने के साथ भारी बारिश का अनुमान है। पहले से ही बारिश की मार झेल रहे किसानों पर इसका और भी असर पड़ता दिख रहा है। पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण खेतों में कई जगहों पर पानी जमा हो गया है, जिससे कपास, सोयाबीन, अरहर और चावल जैसी मौसमी फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
बारिश की चेतावनी से ग्रामीण इलाकों के किसानों और नागरिकों की चिंता बढ़ गई है। बेमौसम बारिश से हुए नुकसान की भरपाई होने से पहले ही एक और प्राकृतिक आपदा आने की आशंका है। किसान नुकसान की भरपाई, सूखाग्रस्त घोषित करने और राज्य सरकार से तत्काल सहायता की मांग कर रहे हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, 27 से 29 सितंबर के बीच मराठवाड़ा, विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र और कोंकण में भारी बारिश होगी और प्रशासन नागरिकों से सावधानी बरतने को कह रहा है।
मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि आने वाले दिनों में राज्य में भारी बारिश का खतरा बना रहेगा। खासकर दोपहर के बाद गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना है और 26 तारीख से निम्न दबाव के क्षेत्र का प्रभाव बढ़ेगा। विदर्भ और मराठवाड़ा के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में बारिश की तीव्रता बढ़ सकती है। 27 और 28 सितंबर को राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश होने की संभावना है। अगर बारिश की तीव्रता बढ़ती है तो शहरों में जल निकासी व्यवस्था चरमराने की आशंका है।

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