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Nagpur

कैसे पता लगता है कि अगले दो दिन में ठंड पड़ेगी या बारिश होगी?, मौसम का हाल बताने वाली अजब-गजब मशीनें


नागपुर: आज तापमान कितना है? कल कितना रहने वाला है ? आज उमस कितनी है और बारिश कितनी होगी ?  ऐसे तमाम सवालों को जवाब हमें मौसम विभाग की ओर से मिलते रहते है। लेकिन क्या आपको पता है इन तमाम तरह के जवाब के लिए मौसम विभाग किन किन तकनीक का उपयोग करता है। हम अपनी इस रिपोर्ट के जरिये इन्ही मशीनों के बारे में बताएँगे साथ ही ये भी जानकारी देंगे किन इन मशीनों का कब और कैसे इस्तेमाल किया जाता है।

जब भी मौसम में बदलाव होने वाला होता है। मौसम विभाग बता देता है कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है।  लेकिन सवाल है कैसे ? मौसम की जानकारी हासिल करने के लिए मौसम वैज्ञानिक अपने बरसो के अनुभव और तकनीकों का सहारा लेते है। अनुभव निरंतर काम से आता है जबकि तकनीक के लिए नागपुर प्रादेशिक मौसम केंद्र के पास कई आधुनिक मशीनें उपलब्ध है। इनमें स्पेशल गोलाकार लेंस मशीन कुछ अहम् मशीनों में से एक है।  

इस मशीन में  एक कागज का चार्ट होता है। दिन में कितने बजे धूप तेज निकली, कितने बजे नहीं निकली, इसकी पूरी जानकारी इस चार्ट के माध्यम से मिलती है। वही, सतही वेधशाला में एक बड़ा बॉक्स रखा है। इस बॉक्स में चाबी से चलने वाली मशीनें रखी हैं। पहली मशीन को ‘सेल्फ रिकॉर्डिंग थर्मोग्राफ’ कहते हैं, जिसमें लगातार गिरते-चढ़ते पारे का ग्राफ बनता है। यह मशीन चाबी से चलती है। सप्ताह में एक बार इसमें चाबी भरी जाती है।  

मौसम विभाग की इनवेंट्री में सूर्य के विकिरण की जानकारी देने वाली विशेष और महंगी मशीनें भी लगी हैं। इससे पता चलता है कि अल्ट्रावायलेट किरणों का असर कितना है। इसी छत पर हवा की रफ्तार और हवा के रुख का पता लगाने के लिए भी दो उपकरण लगे हुए हैं।  

इनवेंट्री में मौसम भले ही मैन्युअल जांचा जाता हो, लेकिन मौसम विभाग के पास एक ऑटोमेटिक रीडिंग मशीन भी है। इस मशीन से बारिश होते ही पूरा आंकड़ा सीधे मौसम विभाग के दफ्तर को पहुंच जाता है। इससे पूरे देश के भविष्य के मौसम का अंदाजा लगाया जाता है।हाइड्रोजन बैलून, रडार, उपग्रह,  बैरोमीटर, हाइग्रोमीटर, थर्मामीटर  जैसे उपकरणों के माध्यम से सटीक मौसम जानकारी मिलती है।

मौसम के पूर्वानुमान के लिए हाई-स्पीड कंप्यूटर, मौसम संबंधी उपग्रह और मौसम रडार अहम भूमिका निभाते हैं। इनके जरिए सटीक डेटा प्राप्त करने में मदद मिलती है और धीरे धीरे इन टेक्नोलॉजी में सुधार हो रहा है और उसका नतीजा है कि मौसम विभाग का अनुमान सटीक होता जा रहा है।

सीधे शब्दों में कहें तो मौसम पूर्वानुमान के लिए सबसे पहले मौसम और मौसमी आंकड़ों से संबंधित सूचनाएं प्राप्त की जाती है। इसके साथ ही हवाओं के रुख के जरिए तापमान, दाब, आर्द्रता आदि के बारे पता किया जाता है। इसके साथ ही इसमें डॉप्लर रडार के आंकड़ों का भी इस्तेमाल होता है और फिर डेटा विश्लेषण के साथ मौसम भविष्यवाणी होती है। बहरहाल अनुभव और तकनीक के जरिये मौसम की सटीक जानकारी मिलती है और पिछले कई दशकों में मौसम विभाग द्वारा दी जाने वाली जानकारियों में सटीकता आयी है।