खातों में निकली 22.76 करोड़ रुपए की अनियमितता, सीनेट में बवाल, कुलगुरु ने जांच समिति गठित, सवालों के घेरे में विश्वविद्यालय प्रशासन
नागपुर: राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (विवि) में प्रशासनिक और वित्तीय व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एक ओर जहां सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय के खातों में 22.76 करोड़ रुपये की भारी अनियमितता सामने आई है। इन दोनों मामलों ने विवि प्रशासन की कार्यप्रणाली और निगरानी तंत्र पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
नागपुर विश्वविद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के बाद गार्डों की संख्या घटाने का निर्णय लिया गया है। विवि प्रशासन का कहना है कि सीसीटीवी कैमरों, नियंत्रण कक्ष और उपलब्ध तकनीकी संसाधनों के प्रभावी उपयोग से सुरक्षा बनाए रखते हुए अनावश्यक खर्च में कटौती की जाएगी। इसके लिए सभी सुरक्षा प्वाइंट्स का ऑडिट कर केवल आवश्यकता वाले स्थानों पर ही गार्ड तैनात किए जाएंगे।
हर साल सुरक्षा पर करीब 3.50 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद कई स्थानों पर गार्ड मौजूद नहीं रहते, फिर भी बिल बनाए जाने के आरोप भी सामने आए हैं। इस पूरे मामले की जांच के लिए स्वतंत्र समिति गठित करने और सुपरवाइजर की नियुक्ति का सुझाव दिया गया है। वहीं, विवि के वर्ष 2024-25 के वार्षिक खातों और ऑडिट रिपोर्ट में 22.76 करोड़ रुपये की अनियमितता उजागर हुई है।
ऑडिट के अनुसार विभिन्न विभागों द्वारा वर्षों से ली गई अग्रिम राशि का न तो समुचित हिसाब दिया गया और न ही पार्टीवार विवरण उपलब्ध कराया गया। कुछ राशियां लंबे समय से बिना समायोजन के पड़ी हैं, जिससे सत्यापन संभव नहीं हो पा रहा है। सीनेट बैठक में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद कुलपति ने उच्चस्तरीय जांच समिति गठित करने के निर्देश दिए। खेल विभाग समेत कुछ विभागों में गंभीर अनियमितताओं और संभावित भ्रष्टाचार के आरोप भी सामने आए हैं।
इसके अलावा, विवि की संपत्तियों पर अतिक्रमण, लीज पर दी गई जमीनों पर कब्जा न मिल पाने और खाली जमीन की कमी जैसे मुद्दे भी उजागर हुए हैं। प्रशासन ने भविष्य में किसी भी जमीन को देने से इनकार करते हुए राज्य सरकार से 100 एकड़ जमीन की मांग की है। इन सभी मामलों ने विवि में वित्तीय अनुशासन, संपत्ति प्रबंधन और प्रशासनिक पारदर्शिता को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
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