Deepfake: डीपफेक पर केंद्र सरकार लाएगी नए नियम, नहीं मानने पर होगी कार्रवाई

नई दिल्ली: सरकार डीपफेकिंग को लेकर नए नियम ला रही है। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि, "आज यानी 16 जनवरी को डीपफेक पर 2 बैठकें हुईं. नए आईटी नियमों में गलत सूचना और डीपफेक पर व्यापक प्रावधान हैं। इसका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है, अन्यथा कार्रवाई की जायेगी।" केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, आने वाले एक हफ्ते में नियमों को नोटिफाई किया जाएगा।"
इससे पहले 23 नवंबर को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि , "डीपफेक लोकतंत्र के लिए नया खतरा बनकर उभरा है।' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने डीपफेक के खतरे और इसकी गंभीरता को स्वीकार किया है। वैष्णव ने कहा था कि डीपफेक के रचनाकारों और उन्हें होस्ट करने वाले प्लेटफार्मों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।"
पीएम मोदी और सचिन तेंदुलकर का बन चुका डीप फेक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी डीपफेक पर चिंता जता चुके हैं. उनका एक डीपफेक वीडियो सामने आया था. हाल ही में पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था. इसमें उन्हें गेमिंग ऐप 'स्काईवर्ड एविएटर क्वेस्ट' का प्रचार करते हुए दिखाया गया था. सचिन ने कहा था- ये वीडियो फर्जी है और धोखा देने के लिए बनाया गया है.
सबसे पहले मंदाना का डीपफेक वीडियो हुआ था वायरल
पिछले साल नवंबर में, रश्मिका मंदाना का एक डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें एआई तकनीक का उपयोग करके रश्मिका के चेहरे को बड़े करीने से एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में बदल दिया गया था। सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने रश्मिका के इस फेक वीडियो को असली मान लिया क्योंकि इसमें दिख रहे एक्सप्रेशन बिल्कुल असली लग रहे थे.
डीपफेक क्या है ?
डीपफेक शब्द का इस्तेमाल पहली बार 2017 में किया गया था। किसी अन्य व्यक्ति के चेहरे, आवाज और हावभाव को वास्तविक वीडियो, फोटो या ऑडियो में फिट करना डीपफेक कहलाता है। ये इतना साफ़ होता है कि कोई भी इस पर यकीन कर सकता है. यहां तक कि नकली भी असली चीज़ जैसा दिखता है। इसमें मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जाती है। यह तकनीक और सॉफ्टवेयर की मदद से वीडियो और ऑडियो बनाता है।

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