MGNREGA की जगह मोदी सरकार ला रही नया रोजगार कानून "विकसित भारत-जी राम जी", लोकसभा में पेश होगा बिल
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। लंबे समय से लागू महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह अब सरकार एक नया रोजगार कानून लाने जा रही है। इस संबंध में ‘विकसित भारत–जी राम जी’ (Viksit Bharat–G RAM G) नामक नया बिल लोकसभा में पेश किया जाएगा, जिसके लिए सांसदों को मसौदे की प्रतियां भी वितरित की जा चुकी हैं ।
क्या है ‘विकसित भारत–जी राम जी’ बिल?
सरकारी सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रस्तावित कानून का पूरा नाम Viksit Bharat Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin) बताया जा रहा है। इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में रोजगार को केवल अस्थायी मजदूरी तक सीमित न रखकर आजीविका, कौशल और विकास से जोड़ना है ।
मनरेगा से अलग कैसे होगा नया कानून?
नए कानून में मनरेगा की तुलना में कई अहम बदलाव प्रस्तावित बताए जा रहे हैं,
- रोजगार के दिन बढ़ाने की संभावना: जहां मनरेगा में 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित है, वहीं नए कानून में इसे 125 दिन तक बढ़ाने का प्रावधान हो सकता है ।
- आजीविका आधारित काम: केवल खुदाई या अस्थायी कार्यों के बजाय स्थायी परिसंपत्तियों, स्थानीय जरूरतों और कौशल आधारित रोजगार पर ज़ोर।
- ‘विकसित भारत’ विज़न से जुड़ाव: ग्रामीण रोजगार को देश के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों से जोड़ने की रणनीति।
- प्रशासनिक ढांचे में बदलाव: कार्यान्वयन और निगरानी तंत्र को अधिक सख्त और तकनीक आधारित बनाने की तैयारी।
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि मनरेगा अपने समय में एक महत्वपूर्ण योजना रही, लेकिन बदलते समय और जरूरतों के हिसाब से अब ग्रामीण रोजगार नीति को नया स्वरूप देना जरूरी है। नया कानून ग्रामीण युवाओं को केवल मजदूरी नहीं, बल्कि सम्मानजनक आजीविका और कौशल विकास के अवसर देगा।
विपक्ष के सवाल और आशंकाएं
हालांकि विपक्ष ने इस कदम पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
- विपक्षी दलों का कहना है कि मनरेगा एक कानूनी गारंटी वाला अधिकार है और उसे खत्म करना गरीबों के हितों पर असर डाल सकता है।
- यह भी आशंका जताई जा रही है कि नया कानून कहीं गारंटी को कमजोर न कर दे।
- विपक्ष ने मांग की है कि बिल को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए और व्यापक चर्चा के बाद ही इसे लागू किया जाए।
कब पेश होगा बिल?
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, संसद के मौजूदा सत्र में ही लोकसभा में इस बिल को पेश करने की तैयारी है। इसके बाद इस पर विस्तृत बहस और संशोधन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है । मनरेगा देश की सबसे बड़ी सामाजिक-आर्थिक योजनाओं में से एक रही है। उसकी जगह नया कानून लाना ग्रामीण भारत, राजनीति और अर्थव्यवस्था तीनों के लिए बड़ा बदलाव माना जा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि नया कानून वास्तव में ग्रामीण मजदूरों और गरीब परिवारों को कितना लाभ पहुंचा पाता है।
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