भारत ने रचा इतिहास, जापान को पीछे छोड़ते हुए बनी दुनिया के चौथी अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली: 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने शपथ ली थी। अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कई योजनाओं की घोषणा की थी। जिसमें स्वच्छ भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान योजना आदि शामिल थी। इसी के साथ पीएम में 2030 तक भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बनाने की बात भी कही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 11 साल के शासन में जितने वादे किये उसमें से अधिकतर पुरे किए। इसी क्रम में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनने के लिए पीएम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। रविवार को इस अभियान में बड़ी सफलता हाथ लगी। भारत ने जापान को पीछे छोड़े हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बन गई है। निति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यन ने दी।
सुब्रमण्यन ने नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद यह घोषणा की। भारत के लिए अब स्थिति मजबूत है। देश की आर्थिक स्थिति मजबूत है। सुब्रमण्यन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि अब हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। अब हमारी अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलियन डॉलर की है।
ये तीन देश हैं आगे
सुब्रमण्यन ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों के आधार पर चौथी अर्थव्यवस्था का मील का पत्थर स्थापित हो चुका है। आईएमएफ के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था जापान से भी बड़ी हो गई है। अब अमेरिका, चीन और जर्मनी भारत से आगे हैं। यदि भारत योजना के अनुसार अपनी गति बढ़ाता रहा तो अगले 2.5 से 3 वर्षों में जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
भारत में माल का निर्माण करना सस्ता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद से उन्होंने चीन और भारत के साथ-साथ यूरोप को नियंत्रित करने के लिए एकतरफा कार्यक्रम शुरू कर दिया है। ट्रम्प का विशेष गुस्सा चीन और भारत के प्रति देखा जा रहा है। वे वादा कर रहे हैं कि उन्हें कर और व्यापार में रियायतें तभी मिलेंगी जब वे मेरी बात मानेंगे।
अब उन्होंने यह रुख अपना लिया है कि एप्पल को आईफोन का निर्माण भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में करना चाहिए। अन्यथा, उन्होंने 25 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की धमकी दी है। नीति आयोग के सीईओ सुब्रमण्यन ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि टैरिफ का क्या होगा। लेकिन सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत में वस्तुओं का निर्माण और उत्पादन करना सस्ता है। उन्होंने देश में सरकारी संपत्ति को किराये पर देने के मुद्दे पर स्पष्टीकरण दिया है।

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