पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर चुनाव प्रचार के दौरान दर्ज हमले की घटना फर्जी निकली, पुलिस ने भेजा बी-फाइनल रिपोर्ट

नागपुर: पिछले विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व गृहमंत्री और राकांपा (शरद पवार गुट) के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख पर दर्ज किए गए हमले के मामले में नया मोड़ आया है। ग्रामीण पुलिस और फॉरेंसिक जांच में यह घटना फर्जी पाई गई है। इस खुलासे से राजनीतिक गलियारों में बड़ी हलचल मच गई है और आगामी दिनों में राजनीतिक विवादों की संभावना जताई जा रही है।
क्या था मामला?
19 नवंबर 2024 को कटोल क्षेत्र में देशमुख अपनी गाड़ी से जा रहे थे, तभी उन्होंने आरोप लगाया कि बैलफाटा के पास झाड़ियों में छिपे चार लोगों ने उनकी गाड़ी पर पथराव किया। देशमुख ने आरोप लगाया कि हमलावर भाजपा नेता चरणसिंह ठाकुर के समर्थन में नारे लगाते हुए वहां से फरार हो गए। इस हमले की खबर ने चुनावी माहौल को गर्मा दिया था।
जांच में क्या मिला?
- ग्रामीण पुलिस ने वैज्ञानिक और फॉरेंसिक जांच कराई, जिनमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं,
- देशमुख की गाड़ी में लगी शीशा रि-इनफोर्स प्रकार का था, जो पत्थर से आसानी से टूटता नहीं है, बल्कि चटकता है। मगर जांच में पाया गया कि शीशे में कोई चटका तक नहीं हुआ था।
- शीशा टूटने पर नुकीले टुकड़े होते हैं, जिनसे चलने वाले को कटे-छिले का घाव लगना चाहिए। लेकिन देशमुख के सिर पर लगी चोट ऐसा नहीं दिखाती।
- गाड़ी के अंदर मिला पत्थर पिछली सीट के शीशे से आया था और फॉरेंसिक जांच से साफ हुआ कि वह पत्थर घूमकर देशमुख के माथे तक पहुंचना संभव नहीं था।
पुलिस ने क्या कदम उठाए?
इन सब वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर ग्रामीण पुलिस ने पूरे मामले को फर्जी मानते हुए बी-फाइनल रिपोर्ट अदालत में भेज दी है। यह रिपोर्ट घटना की सच्चाई से इन्कार करती है और जांच में सामने आए सबूतों को आधार बनाती है।राजनीतिक प्रभावयह खुलासा चुनावी समय में हुए इस हमले के राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किए जाने पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। राजनीतिक दलों के बीच इस मामले को लेकर तनाव बढ़ने की संभावना है। सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी पार्टियों के बीच चुनाव के बाद की राजनीतिक बहसें और तीव्र हो सकती हैं।

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