Buldhana: बारिश के इंतजार में किसान, सात लाख 36 हजार 566 हेक्टेयर में बुवाई में हुई देरी

बुलढाणा: मई में हुई बारिश ने तापमान बढ़ा दिया है और जून में भी बुवाई के लिए पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। इसके कारण जिले में सात लाख 36 हजार 566 हेक्टेयर में बुवाई में देरी हुई है। अब तक केवल 7552 हेक्टेयर में ही बुवाई हुई है। उसमें भी बीज की कमी होने की संभावना है। चूंकि मुख्य फसल कपास और सोयाबीन होगी, इसलिए बीज खरीदते समय धोखाधड़ी और घटिया बीज मिलने से किसानों को नुकसान होने की संभावना है।
जिले में जून माह में औसतन 36 मिलीमीटर बारिश हुई है। सबसे अधिक बारिश देउलगांव राजा तालुका में 79.8 मिमी हुई है। अभी तक किसी भी तालुका में 100 मिमी बारिश नहीं हुई है। इसका असर बुवाई पर पड़ रहा है। हालांकि पिछले साल औसत बारिश 96 मिमी हुई थी। पांच तहसीलों में 100 मिमी से अधिक बारिश हुई थी। इसके कारण बुवाई शुरू हो गई थी। इस साल सोयाबीन की बुवाई तीन लाख 97 हजार 041 हेक्टेयर क्षेत्र में होगी। हालांकि हकीकत में 120 हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी है। एक लाख 97 हजार 638 हेक्टेयर में कपास की बुआई भी होगी।
देउलगांव राजा तहसील के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के कारण किसानों ने बुआई शुरू कर दी है। इस साल मई में लगातार बेमौसम बारिश हुई। जिससे गर्मियों की फसलों को नुकसान पहुंचा। साथ ही बुआई से पहले की खेती का काम भी देरी से हुआ। इससे किसान चिंतित थे। बीच में बारिश कम होने पर किसानों ने बुआई से पहले की खेती का काम पूरा कर लिया। कुछ इलाकों में बारिश होने से किसान बुआई में जुट गए।
मिट्टी की बनावट और बारिश को देखकर बुआई करें। किसान खरीफ सीजन के करीब पहुंच रहे हैं और खेतों में खेती का काम जोर पकड़ चुका है। कपास और सोयाबीन मुख्य फसलें हैं और इन फसलों की पैदावार मिट्टी की बनावट, बारिश और समय पर खेती पर निर्भर करती है। चूंकि सोयाबीन की फसल स्वपरागण वाली होती है, इसलिए हर साल सोयाबीन के नए किस्म के बीज खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर इन बीजों का इस्तेमाल तीन साल तक किया जाए तो बीज की कीमत कम हो जाएगी।

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