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Chandrapur

Chandrapur: भाजपा मंडल अध्यक्षो की नियुक्ति मे जोरगेवार गुट का प्रभाव, मुनगंटीवार गुट को झटका


-पवन झबाडे

चंद्रपुर: भाजपा संगठन में बीते कई वर्षों से पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार का वर्चस्व निर्विवाद माना जाता रहा है। जिला व महानगर संघटन के नेतृत्व से लेकर पदाधिकारी नियुक्ती से, हर निर्णायक स्तर पर मुनगंटीवार समर्थक ही प्रमुख भूमिका मे दिखे आ रहे थे।

हालांकि, 2024 की विधानसभा चुनाव के बाद यह वर्चस्व धीरे-धीरे कमजोर पड़ता गया। किशोर जोरगेवार की बतौर बीजेपी विधायक एंट्री ने चंद्रपुर भाजपा में नई सियासी हवा बना दी। जोरगेवार ने संगठन को अपनी ओर मोड़ने के लिए न केवल रणनीतिक स्तर पर काम शुरू किया, बल्कि मुनगंटीवार गुट के कई प्रभावशाली नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी अपने पक्ष में लाने में कामयाबी हासिल की।

चंद्रपुर भाजपा हुई दो फाड़ 

इसके बाद से चंद्रपुर महानगर भाजपा दो स्पष्ट गुटों में बंट गई.  एक ओर मुनगंटीवार समर्थक, तो दूसरी ओर जोरगेवार समर्थक। दोनों पक्षों के बीच संगठनात्मक पदों को लेकर संघर्ष खुलकर सामने आने लगा। विशेषकर महानगर अध्यक्ष पद को लेकर काफी नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला।

पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि मुनगंटीवार गुट से जुड़े राहुल पावडे इस पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। भाजपा में अभिप्राय (फीडबैक) प्रक्रिया के तहत भी पावडे को बढ़त मिलती दिख रही थी। लेकिन आखिरी समय पर जोरगेवार ने चतुर राजनीतिक चाल चलते हुए अपने करीबी सुभाष कासनगोटूवार को महानगर अध्यक्ष बनवाने में सफलता पाई। यह घटना मुनगंटीवार गुट के लिए न केवल एक बड़ा झटका था, बल्कि इसे भाजपा में आंतरिक सत्ता संतुलन में बड़ा बदलाव माना गया।

मंडल स्तर तक पहुंची जोरगेवार की पकड़

अब जब महानगर अध्यक्ष की कुर्सी जोरगेवार समर्थकों के हाथ में है, वहीं मंडल स्तर पर भी नियुक्तियाँ उन्हीं के गुट से की जा रही हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि किशोर जोरगेवार ने भाजपा के चंद्रपुर संगठन पर प्रभावी पकड़ बना ली है, जिससे मुनगंटीवार का दशकों पुराना प्रभाव अब धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है।

मुंबई के ‘गॉडफादर पॉलिटिक्स’ का असर?


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किशोर जोरगेवार की यह सफलता केवल स्थानीय रणनीतियों का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे मुंबई में बैठे राजनीतिक गॉडफादर्स की भी अहम भूमिका है। इन वरिष्ठ नेताओं के सहयोग और मार्गदर्शन से जोरगेवार ने मुनगंटीवार को जिले तक सीमित रखने की योजना को धीरे-धीरे साकार किया है।

चंद्रपुर भाजपा की मौजूदा स्थिति महज पदों की लड़ाई नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की नेतृत्व की दिशा तय करने का संग्राम है। किशोर जोरगेवार ने अपनी संगठनात्मक ताकद, रणनीतिक चतुराई और राजकीय संपर्कों के दम पर मुनगंटीवार गुट को गहरी चुनौती दी है। 

नवनियुक्त मंडल अध्यक्ष के नाम

चंद्रपुर शहर और ग्रामीण भाजपा संगठन में हाल ही में हुई नियुक्तियों में विधायक किशोर जोरगेवार के गुट का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। नव-नियुक्त मंडल अध्यक्षों में तुकूम के लिए स्वप्नील डुकरे, बाजार वार्ड के लिए सुभाष अदमाने, सिविल लाइन्स के लिए रवि जोगी, बाबुपेठ के लिए प्रदीप किरमे, बंगाली कैंप के लिए एड. सौ. सारिका संदूरकर, और चंद्रपुर ग्रामीण के लिए विनोद खेवळे का चयन किया गया है। इन नियुक्तियों के चलते शहर के भाजपा संगठन में सत्ता संतुलन में बड़ा बदलाव आया है, ऐसी चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में तेज हो गई हैं।