गुजरात सहित अन्य राज्यों में हिंदी की सख्ती क्यों नहीं? वडेट्टीवार बोले- मराठी का अस्तित्व समाप्त करने की साजिश

नागपुर: महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर विवाद और गहराता जा रहा है। राज ठाकरे, कांग्रेस सहित मराठी साहित्य से जुड़े हुए लोग राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ खड़े हो गए हैं। विरोध को बढ़ते देख देवेंद्र फडणवीस सरकार ने निर्णय को स्थगित करते हुए और सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद इसे लागू करने की बात कही है। हालांकि, इसके बावजूद विपक्ष सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस विधायक दल नेता विजय वडेट्टीवार ने राज्य सरकार पर मराठी का अस्तित्व समाप्त करने के लिए निर्णय लागू करने का आरोप लगाया है। इसी के साथ उन्होंने गुजरात सहित अन्य राज्यों में हिंदी की सख्ती नहीं करने का सवाल भी पूछा?
बुधवार को नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए वडेट्टीवार ने कहा, "गुजरात में मराठी और हिंदी की सख्ती क्यों नहीं हो रही है? महाराष्ट्र में मराठी की सख्ती सब लोगों पर क्यों नहीं हो रही है।" उन्होंने आगे कहा, "हमारे शिक्षण पद्धति में कक्षा एक से हिंदी, मराठी और अंग्रेजी की सख्ती कर रहे हैं। मराठी हमारी मातृ भाषा है। यह भाषा संत परंपरा से आई है। इस हमारी अस्मिता, संस्कृति सब है।"
पहली कक्षा के बजाय पांचवी कक्षा से इसे लागू क्यों नहीं कर रहे हैं। किसके कहने पर यह किया जा रहा है? किसका आदेश माना जा रहा है? किसको खुश करने के लिए यह भाषा अपनाई जा रही है? गुजरात सहित अन्य राज्यों में नहीं लागू हो रही, लेकिन मराठी भाषा का अस्तित्व समाप्त करने के लिए इस तरह का निर्णय थोपा जा रहा है।
कैबिनेट से बाहर निकले अजित पवार
वडेट्टीवार ने हिंदी को लेकर अजित पवार पर भी हमला बोला। कांग्रेस नेता ने कहा, "शरद पवार जहां इसके विरोध में हैं, लेकिन अजित पवार इस पर केवल भूमिका बांध रहे हैं। कैबिनेट में इसके खिलाफ वह नोट क्यों नहीं ला रहे है। यही नहीं कांग्रेस नेता ने पवार सहित उनके मंत्रियों से निर्णय के विरोध में कैबिनेट से बाहर निकलने की मांग की।"

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