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Nagpur

हम शिक्षा के लिए जाते हैं, मौत के लिए नहीं! चांपा-हळदगाव-खापरी मार्ग की बदहाली पर फूटा जनाक्रोश, छात्रों का रास्ता रोको आंदोलन


नागपुर: जिले के उमरेड तहसील अंतर्गत चांपा, हळदगाव, खापरी, डव्हा, परसोडी, तिखाडी, सायकी, उमरा सहित 20 से अधिक गांवों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग आज जनआक्रोश का केंद्र बन गया। वर्षों से उपेक्षित और खड्डों से भरे इस मार्ग पर सोमवार को एक बड़ा हादसा टल गया, जब स्कूली बच्चों से भरी एसटी बस पलटने से बाल-बाल बची। इस दुर्घटना में कई छात्राएं घायल हुईं, जिसके बाद छात्रों और ग्रामीणों ने मिलकर उग्र ‘रास्ता रोको आंदोलन’ शुरू कर दिया।

सुबह 11 से दोपहर 4 बजे तक थमा रहा यातायात
आंदोलन चांपा-हळदगाव फाटे पर सुबह 11 बजे शुरू हुआ और शाम 4 बजे तक जारी रहा। “हम हर दिन जान हथेली पर रखकर स्कूल जाते हैं, क्या यही विकास है?” — यह सवाल करते हुए बच्चों ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया। हाथों में तख्तियां और चेहरों पर गुस्सा लिए छात्र-छात्राएं सड़क पर बैठ गए। धीरे-धीरे ग्रामस्थ भी इस आंदोलन में शामिल हो गए और भीड़ सैकड़ों में बदल गई।

प्रशासन को आया पसीना, अधिकारी मौके पर पहुंचे
छात्रों के आक्रोश को देखते हुए उपविभागीय अधिकारी विद्यासागर चव्हाण के मार्गदर्शन में तहसीलदार मनोहर चव्हाण और कुही के थानेदार प्रशांत काळे घटनास्थल पर पहुंचे। अधिकारियों ने चांपा से परसोडी तक खुद बस यात्रा कर सड़कों की दयनीय हालत का अनुभव किया।

पालकमंत्री का आश्वासन, लेकिन जनता को भरोसा नहीं
मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे ने इस मार्ग को 80 करोड़ रुपये की लागत से सिमेंट कंक्रीट से बनाने की घोषणा की और कहा कि "दिवाली से पहले काम शुरू कर दिया जाएगा।" वहीं, तत्काल राहत के तौर पर क्रशर प्लांट मालिकों को गड्ढे भरने के आदेश दिए गए हैं। लेकिन ग्रामीणों का सवाल है — "कब तक तात्कालिक जुगाड़ों से काम चलेगा?"

क्रशर प्लांट से जहरीली धूल, ओवरलोड ट्रकों से सड़कें तबाह
इस मार्ग पर मौजूद दर्जनों क्रशर प्लांटों से हर दिन उठती धूल बच्चों और ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर असर डाल रही है। वहीं, टोल बचाने के लिए ओवरलोड ट्रक इसी रास्ते से निकलते हैं, जिससे सरकार को हर दिन करीब 5 लाख रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है।

अब ठोस हल चाहिए, वरना आंदोलन तेज होगा
ग्रामवासियों और छात्रों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि स्थायी समाधान यानी सीमेंट-कंक्रीट रोड और धूल नियंत्रण की व्यवस्था नहीं की गई तो आंदोलन और व्यापक रूप लेगा। लोगों ने हाल ही में राजस्थान में स्कूल इमारत गिरने की घटना का हवाला देते हुए कहा,  “जब जान जाए तब सरकार जागती है, हम ऐसा नहीं होने देंगे।”