मुख्यमंत्री फडणवीस के प्रति जनता में प्रेम, पोस्टर लगाने पर रोहित पवार के पेट में दर्द क्यों हो रहा?, बावनकुले ने पूछा सवाल
नागपुर: अगर कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रति प्रेम में विज्ञापन देता है, तो रोहित पवार के पेट में दर्द क्यों होता है? राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने सोमवार को यह सवाल उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे सरकार में क्या हुआ था? विज्ञापन कैसे दिए गए थे? किन धनी लोगों ने दिए थे? रोहित पवार को एक बार यह देखना चाहिए कि वसूली कैसे की जाती थी।
हाल ही में विभिन्न अखबारों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तस्वीर वाला एक विज्ञापन छपा है। इसमें फडणवीस छत्रपति शिवाजी महाराज के सामने नतमस्तक होते दिख रहे हैं। इस विज्ञापन पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक रोहित पवार ने सरकार, खासकर चंद्रशेखर बावनकुले पर निशाना साधा। इसी पृष्ठभूमि में बावनकुले ने रोहित पवार पर निशाना साधा है।
बावनकुले ने सोमवार को कोराडी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, रोहित पवार को एक बार यह चश्मे से देखना चाहिए कि उद्धव ठाकरे की सरकार के दौरान क्या हुआ था। कैसे और कौन से विज्ञापन आए, किन धन्नासेठों ने विज्ञापन दिए, कैसे और क्या उगाही हुई, ये सब मत बोलो। अगर देवेंद्र फडणवीस के प्रति प्रेम से अखबार में विज्ञापन आता है, तो उन्हें क्यों बीमार होना चाहिए? इस राज्य को फडणवीस के रूप में एक दुर्लभ सर्वांगीण नेता मिला है। उन्होंने एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ मिलकर जनता का भरपूर प्यार कमाया है।
उन्होंने आगे कहा, "उनके नेतृत्व वाली सरकार को 3 करोड़ 17 लाख वोट मिले हैं। फिर प्रेम से विज्ञापन आने पर उन्हें क्यों पेट में दर्द हो रहा है? छत्रपति शिवाजी महाराज की गवाही वाला एक विज्ञापन आता है। इसमें फडणवीस छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराष्ट्र की 14 करोड़ जनता के आगे नतमस्तक नज़र आते हैं। इसके पीछे एक भावना है कि यह राज्य जनता के लिए समर्पित है। हमें इस भावना को समझना चाहिए। आप इस पर राजनीति क्यों कर रहे हैं? आपने जो कुछ भी किया है, वह हमारे पास है। इसलिए मैं इसमें नहीं जाना चाहता। लेकिन फडणवीस का विज्ञापन आने पर इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। यह बहुत गलत है।"
बावनकुले ने आगे कहा, "देवेंद्र फडणवीस ने जनता का इतना प्यार कमाया है कि उनके एक नहीं, हज़ारों विज्ञापन निकलेंगे। वे महाराष्ट्र के एक सफल नेता हैं। इसीलिए लोग ऐसे विज्ञापन दे रहे हैं। इन पर नाम नहीं है। लेकिन कई लोग अपना प्यार ज़ाहिर ही नहीं करते। संबंधित व्यक्ति ने अपना नाम नहीं छापा। इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है? क्या इस विज्ञापन की भावना कुछ अलग है? इसलिए, भावना का सम्मान किया जाना चाहिए।"
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