Futala Fountain का रास्ता साफ़, सुप्रीम कोर्ट ने फुटाला तालाब को वेटलँड मानाने से किया इनकार; एनआईटी जल्द शुरू करेगा काम

नागपुर: सुप्रीम कोर्ट ने नागपुर सुधार न्यास (NIT) को बड़ी राहत देते हुए फुटाला झील को आर्द्रभूमि (wetland) मानने से इनकार कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से NIT द्वारा झील में कुछ अस्थायी संरचनाएँ बनाकर शुरू किए गए संगीत फव्वारे (Musical Fountain) और अन्य विकास कार्यों का रास्ता साफ हो गया है।
एनजीओ की याचिका हुई खारिज
नागपुर स्थित गैर-सरकारी संगठन (NGO) स्वच्छ एसोसिएशन ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ और बाद में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर फुटाला झील और उसके आसपास के विकास कार्यों पर रोक लगाने की माँग की थी। एसोसिएशन ने दावा किया था कि फुटाला झील एक आर्द्रभूमि है, और वहाँ इस तरह का विकास कार्य 2017 के कानून के अनुसार पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने पहले ही इस याचिका को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने भी स्वच्छ एसोसिएशन की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि नागपुर की फुटाला झील एक प्राकृतिक आर्द्रभूमि नहीं, बल्कि मानव निर्मित झील है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, अब उस स्थान पर नागपुर के इतिहास को बताने वाले फव्वारे और अन्य प्रस्तावित विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में कोई कानूनी बाधा नहीं रही है। यह निर्णय NIT की महत्वाकांक्षी विकास परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है, जिसका उद्देश्य फुटाला झील को एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करना है।

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