Washim: शहर की सड़कों की हालात बेहद ख़राब, चलना हुआ मुश्किल

वाशिम: शहर की सड़कों की दुर्दशा ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही। शहर के मुख्य व अन्य मार्गो पर की सड़कें गत कई महीनों से तो कुछ सड़कें गत अनेक वर्षो से खस्ता हाल बनी हुई है़ इन सड़कों से अभी सभी नागरिक, वाहनधारक त्रस्त हो गए है। जिले का मुख्यालय वाशिम शहर की सड़कें ग्रामीण की सड़कों से भी अधिक बदतर बन गई है। सड़कों पर पड़े जगह जगह गड्ढे व धूल के कारण आवागमन करनेवाले वाहन चालक ही नहीं तो पैदल चलनेवालों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन संबंधित विभाग की अनदेखी से नागरिकों में असंतोष व्याप्त ह। इस समस्या की ओर ध्यान देते हुए तत्काल शहर की खराब सड़कों की मरम्मत तो कुछ सड़कों नए से निर्माण कार्य करने की मांग की जा रही है।
दुर्घटनाओं को आमंत्रण
शहर की मुख्य सड़कों के साथ ही अनेक भागों की सड़कों की हालत खराब हो चुकी है। जिससे यह सड़कें सतत दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासिनता तथा संबंधित विभागों की अनदेखी के कारण शहरवासियों के लिए अच्छी सड़कें केवल एक सपना ही साबित हो रहा है। वर्षो से स्थानीय पुसद नाका से हनुमान मंदिर तक व आगे राजनी चौक तक तो पुरानी नगर परिषद से रमेश टाकीज व आगे काटीवेस, बालु चौक तक की सड़कें, सिविल लाइन के डा. दागडिया हास्पिटल से मणिप्रभा होटल चौक तक की सड़कें इतनी खराब हो चुकी है कि इन सड़कों पर पैदल चलना भी किसी कसरत से कम नहीं हो रहा है।
इन सड़कों पर सतत आवागमन रहने से इस मार्ग से आवागमन करनेवाला हर कोई प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की याद कर रहा है। उपरोक्त सड़कों के साथ अन्य कुछ सड़कों का नए से निर्माण करना आवश्यक हो गया है। सन 1998 में वाशिम जिला निर्मिति के बाद शहर में होनेवाली तेज गति से जनसंख्या व इसके अनुपात में होनेवाली वाहनों को वृध्दि के कारण शहर के अनेक सड़कों पर यातायात का ताता लगा रहता है। जिला मुख्यालय होने से तहसील तथा ग्रामीण भागों से विविध काम के लिए यहां पर प्रतिदिन हजारों नागरिक, किसान, विद्यार्थियों का आवागमन रहता है। इन कारणों से जिला मुख्यालय रहने वाले शहर में अच्छी व चौड़ी सड़कें होना समय की आवश्यकता है।
व्यापार-उद्योग प्रभावित
शहर मुख्यालय होने से यहां पर लोगों का विविध वस्तु खरीदने के लिए व अन्य मार्केटिंग के लिए आनाजाना दिनभर लगा रहता है़ खराब सड़कों के कारण अनेक बार लोग अपनी खरीदी को टालते है व अन्य जगह से वस्तुए खरीदते है. जिससे इस परिसर के साथ शहर के व्यापार, व्यवसाय प्रभावित हो रहे है़ स्थानीय रेलवे स्टेशन से हिंगोली नाका से शहर में आनेजानेवाले प्रतिदिन हजारों यात्री रहते है़ इस मार्ग पर से पैदल, आटो रिक्शा, चार पहिया वाहन, दुपहिया वाहनों का लगातार आनाजाना शुरू रहता है।
स्थानीय हिंगोली नाका से शुक्रवार पेठ तक की सड़कों की हालत खस्ता होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है़ जनप्रतिनिधि भी यहां से आना जाना करते है। लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि, इन सड़कों की दुर्दशा की ओर उनका ध्यान नहीं है। शहर के खराब सड़कों की तत्काल दुरुस्ती व आवश्यक सड़कों का पुर्ननिर्माण करने की मांग की जा रही है।

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