Washim: तेजी से घट रहा तालाब का जलस्तर, तालाब गहराइकरण की आवश्यकता

- सरकारी खजाने की निधि से तालाब गहरा करना जरूरी
आसेगांव: आसेगांव बस स्टैंड के पिछले हिस्से में बना हुआ वर्षो पूर्व का गांव खोर तालाब दिसंबर के कड़कड़ाती ठंड के मौसम में ही आधे से अधिक सूखने की कगार पर दिखाई दे रहा है. उक्त तालाब को सरकारी खजाने की निधि से गहरा किए जाने की आवश्यकता समय की मांग है. 4 से 6 माह में तालाब प्यासी अवस्था में पहुंचना आने वाले समयकाल के लिए संकट के संकट को दर्शाने जैसा दृश्य बना हुआ है.
आसेगांव में सरकारी खजाने की निधि से ही 30 वर्षो पहले तालाब का निर्माण किया गया था. लेकिन उक्त तालाब वाले स्थान पर जमीन के अंदर गड़े हुए काले पत्थरों की खड़कें अनेकों जगह रहने से तालाब का गहराई करण बड़े पैमाने पर नहीं हो पाया. जिस वजह से तालाब की गहराई बीच वाले हिस्से में केवल 6 फीट की ही रह गई और बाहरी हिस्से में तालाब केवल तीन फीट गहरा ही रहा.
जिस वजह से उक्त तालाब शुरुआती बरसात में जल्द भर जाना और दिसंबर माह में ही सूखने की कगार पर पहुंच जाना जैसे मामले बरसो से बने हुए है. जिसकी दाखल लेते हुए बीते पांच वर्ष पहले तालाब गहरा करने को लेकर प्रयास भी किया गया. लेकिन भीतरी हिस्से में काले पत्थरों की खड़कें निकलने से उक्त कार्य आधा अधूरा ही रह गया.
तालाब के जल से होती है पशुओं की तृष्णा तृप्ति
तालाब में जमने वाले जल से ठंड और बरसाती मौसम में सैंकड़ों पशु तृष्णा तृप्ति कर अपनी प्यास बुझाते है. लेकिन ग्रीष्मकालीन मौसम की चोंट पर तालाब ही खुद प्यासी अवस्था में पहुंच जाता है. इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए तालाब गहरा करना बेहद जरूरी है.

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