पालकमंत्री राठोड के गांव की हालत खस्ताहाल; न पक्की सड़क, न ही अंतिम संस्कार के लिए भूमि

यवतमाल: एक तरफ पालकमंत्री संजय राठोड पूरे जिले के विकास करने की बात करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ उनका खुद का गांव गोंडगावां मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। गांव के लिए जाने के लिए न तो पक्की सड़क है, न ही पानी के लिए साफ़ पानी। वहीं अगर किसी की मौत हो जाए तो अंतिम संस्कार करने के लिए शमशान भूमि तक नहीं है, किसी खेत में ले जाकर अंतिम संस्कार किया जाता है।
ग्रामीणों ने कहा कि, गांव में आने-जाने के लिए सड़क नहीं है। 35 साल पहले सड़क बनाई गई थी, लेकिन अब वह सड़क पूरी तरह बह गई है। गांव में अगर किसी की मौत हो जाती है तो श्मशान तो क्या, दाह संस्कार के लिए जगह नहीं है। इसी के साथ न ग्रामीणों को घरकुल योजना का लाभ मिल रहा है, न खेतो पर जाने के लिए पंधान रोड। साफ़ पिने के लिए पानी तक नहीं है।
अन्य ग्रामीणों ने कहा, “हमारे गांव में छह से सात किलोमीटर लंबा रोड है, लेकिन वह सालो से बन नहीं है। वहीं खेतों में जाने वाली ढर्रो को बनाने की मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है। ग्रामीणों ने कहा कि, जब तक क्षेत्र के सांसद और विधायक ध्यान नहीं देंगे तब तक कैसे विकास होगा? सरकार को जब समस्या की जानकारी होगी तभी तो काम होंगे।”
केवल मिला आश्वासन
ग्रामीणों ने बताया कि, इस समस्या को लेकर हमने कई बार विधायक राठोड से मुलाकात की है। इस दौरान उन्होंने सभी समस्याओं का समाधान करने का वादा किया। लेकिन, उनके दावे पूरी तरह कोरा का कोरा रह गया है। ग्रामीणों ने विधायक पर गुस्सा जाहिर करते हुए हुए कहा कि, राठोड पिछले 20 साल से विधायक और 10 साल से मंत्री हैं। जब चुनाव आता है तो वह हाथ जोड़कर वोट मांगने आ जाते हैं। वहीं चुनाव के बाद वह गायब हो जाते हैं। वह जिले के पालक मंत्री हैं, लेकिन इसके बावजूद राठोड एक बार भी अपने गांव की तरफ नहीं देखा है।
कितने दिन करना पड़ेगा इंतजार
संरक्षक मंत्री के गांव की हालत को देखकर लोग सवाल उठाने लगे हैं। पालकमंत्री अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपने खुद के गांव में मुलभुत सुविधा पहुंचा नहीं पाए हैं। लोगों पूछ रहे हैं कि, आखिर मूलभूत सुविधाएं पाने के लिए और कितने दिन इंतजार करना पड़ेगा?
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