Yavatmal: पालकमंत्री के अभाव में रुका जिले का विकास, नागरिक विभिन्न समस्याओं से परेशान

यवतमाल: जिला नियोजन समिति के माध्यम से जिले में विभिन्न विकास कार्य किया जाता है। हालांकि सत्ता परिवर्तन के चलते वार्षिक निधि पर स्थगनादेश दिया गया है, वहीं नए प्रस्तावित काम भी रोके गए हैं। परिणामस्वरुप जिले का 467 करोड़ रुपए का विकास प्रारूप केवल कागजों पर ही सिमट गए हैं। पालकमंत्री के अभाव में नियोजन समिति अस्तित्व में नहीं है, जिसके चलते यह समस्या पैदा हुई है।
अभी कैबिनेट में शामिल संदीपान भुमरे जब पालकमंत्री थे, तब उन्होंने महाविकास आघाडी सरकार के कार्यकाल में 467 करोड़ का विकास प्रारूप तैयार किया था। अब नई सरकार ने यह प्रारुप स्थगित कर दिया। इसमें 102 करोड़ अनुसूचित जनजाति तथा 82 करोड़ रुपए का अनुसूचित जाति के लिए प्रावधान किया गया था।
सरकार परिवर्तन से कई काम स्थगित हुए हैं। इनमें जिला नियोजन समिति के प्रस्तावित कामों का भी समावेश है। दो माह बीतने के बावजूद काम शुरू नहीं हुए हैं। जिला नियोजन समिति में प्रस्तावित आदिवासी विकास प्रकल्प के भी 120 करोड़ रुपए के काम रोक दिए गए हैं।
सत्ता पक्ष और विपक्ष ने पालकमंत्री बनाने की मांग
भाजपा जिला अध्यक्ष नितिन मुतड़ा ने कहा कि जिले में पालकमंत्री की आवश्यक है। मुख्यमंत्री को शीघ्र फैसला लेना चाहिए, ताकि विकास कार्यों को गति मिल सके। शिवसेना जिलाध्यक्ष राजेंद्र गायकवाड़ ने कहा कि कमीशन पर नजर होने से प्रस्तावित कामों पर रोक लगाई गई। कांग्रेस के प्रफुल्ल मानकर ने कहा कि सरकार में निर्णय क्षमता ही नहीं। मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं, पालकमंत्री नहीं और सरकार केवल घोषणाएं कर रही है। राकांपा जिलाध्यक्ष बालासाहब कामारकर ने कहा कि नियोजन समिति की निधि नहीं होने से सभी काम लंबित हैं, जिससे जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
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