Yavatmal: झरी तहसील की 36 शालाओं पर टंगी तलवार, अतिदुर्गम ईलाके के हजारो छात्रों के शिक्षा पर कारवाई

झरी. जिले में झरी जामणी तहसील दुर्गम और आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां पर आदिवासी बच्चों के शिक्षा का मामला पहले ही गंभीर है, तो दुसरी ओर अब शालाओं में कम पटसंख्या के बाद अनेक शालाओं को बंद करने की कारवाई की जाएंगी, जिससे इस आदिवासी बहुल ईलाके के छात्रों पर शिक्षा से वंचित होने का खतरा मंडरा चुका है.
बता दें की सरकार और प्रशासनिक स्तर पर जहां पर छात्रों की पटसंख्या कम है, उन शालाओं पर वेतन और खर्च का मुददा सामने रखते हुए 0 से 20 के भीतर पटसंख्यावाली शालाओं को बंद करने का फैसला किया है, जिससे तहसील की 36 शालाओं के बंद होने का खतरा मंडाकर आदिवासी छात्रों के शिक्षा पर इसका असर हो सकता है.
शिक्षा कानुन के तहत शिक्षा के मुलभगत अधिकार को ध्यान में लेकर इससे पहले सरकार ने गांव स्तर पर शालाएं शुरु की थी, सार्वजनिक निजीकरण के तहत स्कुलें खोलकर शिक्षा देनेवाले अनेक घटक इस दौरान सामने आए.छात्रों की संख्या का मानक तय कर गांव में शालाएं बंद होने पर अब इन शालाओं में पढनेवाले छात्रों के शिक्षा के लिए संकट सामने आ सकता है, कम पटसंख्यावाली अधिकांश शालाएं दुर्गम ईलाकों में है, आम गरीब छात्रों को जिप.शालाओं का ही आधार है.
तहसील में बंद हो रही अधिकांश शालाएं बस्ती, पोड में मौजुद है, जहां पर पहूंचने के लिए अच्छे रास्ते तक नही है, समय पर वाहन उपलब्ध नही होते है,एैसी हालात मे सरकार ने 0 से 20 पटसंख्या की शालाएं बंद कर दुसरे शालाओं में समायोजन करने पर वहां पर इन छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों को आवाजाही का बडा प्रश्न निर्माण होकर छात्रों के शिक्षा का बंटाढार होने की आशंका जतायी जा रही है.
बता दें की झरी तहसील में कुल 116 जिलापरिषद की शालाएं है, जिनमें 36 शालाओं में कम पटसंख्या आंकी गयी है, जिससे सरकारी फैसले के कारण यह शालाएं बंद की जाएंगी, एैसी जानकारी सामने आयी है, तहसील के लिहाज से शालाओं का यह आंकडा काफी बडा होने की चर्चा जारी है, सरकार ने इस फैसले पर अमल करने पर तहसील के पहाडी,दुर्गम और आदिवासी, बस्ती, पोड और तांडों के हजारों छात्रों का भविष्य अंधेरे में आ सकता है.

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