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Akola

Akola: शुरू हुई कपास, सोयाबीन की खरीद, धीरे-धीरे दामों में आ रही तेजी


अकोला: पिछले वर्ष कपास को बहुत अच्छे दाम मिले थे. उस अनुसार इस वर्ष किसानों का रुझान कपास की बुआई की ओर बढ़ा हुआ दिखाई दिया. इस वर्ष जब कपास निकलना शुरू हुई उस समय ऐसा लग रहा था की कम से कम 9,000 रु. प्रति क्विंटल दर मिलेंगे लेकिन फिलहाल अच्छी क्वालिटी की कपास को 8,500 रु. के दाम मिल रहे हैं. कहीं कहीं यह दाम 9,000 रु. भी हैं. जहां एक ओर यह संभावना प्रकट की जा रही है कि, यही दाम आगे तक स्थिर रहेंगे वहीं कुछ जानकार लोगों का कहना है कि यह दाम निश्चित ही जल्दी ही 9,000 रु. से भी अधिक बढ़ेंगे. किसान वर्ग भी आनेवाले समय में कपास के दाम बढ़ने को लेकर काफी आशान्वित है. 

रोगों के कारण कपास की क्वालिटी को

इस वर्ष पहले अत्यधिक बारिश के कारण कपास की फसलों का नुकसान हुआ. उसके बाद वापसी की बारिश के कारण भी कपास की फसलें खराब हुई. फिर भी जो कपास की फसल बच गई थी वह गुलाबी बोंड इल्ली और लाल्या तथा दहिया आदि रोगों के कारण खराब हुई. इस कारण जिले में कपास की क्वालिटी को भी धक्का लगा है तथा मुख्य रुप से कपास का उत्पादन भी घटनें की संभावना है. किसानों का कहना है कि, यदि जल्दी ही कपास के दाम और बढ़ेंगे तभी उत्पादन खर्च निकल सकेगा. 

सोयाबीन के दाम बढ़ने की संभावना 

इस वर्ष अत्यधिक बारिश तथा वापसी की बारिश के कारण सोयाबीन की फसल भी खराब हुई है. इस वर्ष इन सब कारणों से सोयाबीन का उत्पादन काफी घटा है. किसानों का कहना है कि, इस वर्ष एक एकड़ में सोयाबीन की फसल पर करीब 22,000 रु. से अधिक खर्च हुए हैं. वहीं एक एकड़ में करीब 3 से 4 क्विंटल उत्पादन हुआ है. पिछले सप्ताह भर में यदि देखा जाए तो सोयाबीन के दामों में तेजी देखी जा रही है. करीब सप्ताह भर पूर्व अच्छी क्वालिटी की सोयाबीन 4,750 रु. क्विंटल पर थी, वह दाम फिलहाल करीब 5,600 रु. देखे जा रहे हैं. किसानों का कहना है कि, इतने दामों में तो उन्हें उत्पादन खर्च भी नहीं निकल पाएगा. किसानों का मानना है कि सोयाबीन को करीब 8,000 रु. से अधिक के दाम मिलने चाहिए तब जाकर स्थिति सुधर सकती है. अभी भी अनेक किसानों को उम्मीद है की आने वाले समय में जल्दी ही सोयाबीन को अच्छे दाम मिलेंगे. शायद इसी कारण से अभी भी कुछ किसान सोयाबीन के दाम बढ़ने की राह देख रहे हैं.

उत्पादन घटने से तकलीफ 

इस संदर्भ में बातचीत करने पर स्थानीय किसान दीपेश तिवारी ने कहा कि, कपास तथा सोयाबीन का उत्पादन घटने के कारण किसानों में चिंता व्याप्त है. उन्होंने कहा कि, जहां एक एकड़ में 10 क्विंटल से लेकर 12 क्विंटल तक कपास की फसल होती थी वह 3 से 4 क्विंटल पर आ गई है. इसी प्रकार की स्थिति सोयाबीन की भी है. उन्होंने बताया कि इस समय कपास की फसल पर लाल्या और दहिया रोग का संक्रमण है, इस कारण कपास की क्वालिटी भी खराब हो रही है. इसी तरह इस वर्ष कीटनाशक छिड़काव करने में भी काफी खर्च आया है. उस अनुसार यदि सोयाबीन और कपास के दाम बढ़ेंगे तभी किसानों का उत्पादन खर्च निकल पाएगा. फिलहाल तो स्थिति अच्छी नहीं है.