Lampi Virus: पशु पालकों में अब तक 1 करोड़ 30 लाख रू. वितरित, 3,542 पशु लम्पी रोग से पीड़ित

अकोला: लम्पी रोग से जिले में 1,253 पशुओं की मौत हो चुकी है और सरकार के पास मदद के लिए 920 प्रस्ताव दाखिल किए गए हैं. जिसमें से 506 पशु पालकों को आर्थिक मदद दी गयी है. यह 1 करोड़ 30 लाख रू. की निधि दो चरण में दी गयी है. अन्य जो प्रस्ताव हैं उनको भी शीघ्र ही मदद मिलने की संभावना है. फिलहाल जिले भर में लम्पी इस चर्म रोग के 3,542 पीड़ित पशु हैं. जिन पर उपचार शुरू है. यह जानकारी बातचीत के दौरान पशु संवर्धन विभाग के सहायक आयुक्त डा.तुषार बावने ने दी है.
लम्पी रोग का संक्रमण 18 अगस्त 2022 को निपाणा ग्राम में पहली बार देखा गया था. धीरे धीरे यह रोग जिले भर में फैलता गया. इसमें करीब 26,500 से अधिक पशु पीड़ित हुए जिसमें से 1,883 पशुओं को इस रोग से बचाने में सफलता मिली. जिले भर में पशुओं में वैक्सीनेशन अभियान चलाया गया और औषधोपचार भी किया गया जिससे काफी हद तक इस रोग पर नियंत्रण पाया गया. लम्पी यह रोग सिर्फ गौवंशीय घटक में ही होता है, जिसमें गाय, बैल तथा बछड़ों का समावेश है. भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गी इसी तरह मनुष्यों को इस रोग का कोई खतरा नहीं है.
युद्ध स्तर पर योजनाएं
उन्होंने बताया कि लम्पी इस रोग को नियंत्रण में लाने के लिए युद्ध स्तर पर उपाय योजनाएं की गयी है. इसके लिए स्टाफ बढ़ाया गया है. इसी प्रकार पशुधन विकास अधिकारी इस पद में से दो पद रेगुलर तथा तीन लोगों की कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ती की गयी है. इसी प्रकार 60 निजी डाक्टर तथा इसी तरह 15 अन्य कुल 75 लोगों की मदद ली गयी है. इसी के साथ साथ 8 पशुधन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट बेस पर की गयी है. औषधोपचार के लिए जिला प्रशासन की ओर से भरपूर निधि देने की जानकारी भी उन्होंने दी. उन्होंने बताया कि गाय के लिए 30 हजार, बैल के लिए 25 हजार तथा बछड़ों के लिए 16 हजार की मदद दी गयी है. उन्होंने कहा कि पशुओं की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए पशुओं का उत्तम क्वालिटी का खाद्य दिया जाना चाहिए. यह बहुत जरूरी है.
इसी तरह लम्पी रोग के कारण जिन पशुओं की मौत हो गयी है उनके पालकों को आर्थिक मदद के लिए लम्पी रोग से पीड़ित पशुओं को सरकारी अस्पताल में दिखाकर पंजीकरण कर के क्रम प्राप्त करना जरूरी है. या संबंधित पशु का सरकारी डाक्टर द्वारा उपचार करवाना जरूरी है. इसी प्रकार दवा रजिस्टर में इस बारे में पंजीकरण होना आवश्यक है. इस तरह के पशु की मौत होने पर उपचार करनेवाले डाक्टर से संपर्क कर के इस घटना का ग्रामसेवक, तलाठी, पुलिस पाटिल तथा गांव के दो प्रतिष्ठित नागरिकों के हस्ताक्षर के साथ पंचनामा और सेतू केंद्र पर मिलने वाला मदद का आवेदन इसी तरह पूर्ण प्रस्ताव पशु संवर्धन सहायक आयुक्त के पास प्रस्तुत करना चाहिए, यह भी उन्होंने कहा.

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