Amravati: अमरावती जिला परिषद के सामने 78 दिनों में करीब 37 करोड़ रुपये खर्च करने की चुनौती

अमरावती: पहले लोकसभा, फिर विधानसभा आचार संहिता और अब संभावित स्थानीय निकाय चुनाव को देखते हुए एक बार फिर विकास कार्यों पर आचार संहिता की तलवार लटकती नजर आ रही है. सरकार ने संकेत दिया है कि अप्रैल में चुनाव होंगे. इसलिए फरवरी-मार्च में ही आचार संहिता लागू हो सकती है. इसका मतलब कि जिला परिषद को 36 करोड़ 66 लाख रुपये के अव्ययित व्यय के लिए मात्र 78 दिन ही मिल पाएंगे. इसलिए इन दिनों में अधिक से अधिक राशि खर्च करने के लिए जिला परिषद प्रशासन को 'दिन कम और टेंशन ज्यादा' वाली स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.
जिला परिषद में प्रशासक राज कायम है. सीईओ संजीता महापात्रा प्रशासक के रूप में कार्यरत हैं. प्रशासनिक शासन का तीन साल का कार्यकाल मार्च माह में पूरा हो जायेगा. इसलिए कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद जिला परिषद, पंचायत समिति, नगर परिषद और नगर निगम चुनाव की फिराक में हैं. सरकार भी चुनाव कराने के पक्ष में नजर आ रही है. ऐसे संकेत हैं कि 22 जनवरी को सुनवाई के बाद किसी भी वक्त स्थानीय स्वशासन चुनाव का बिगुल बज जाएगा.
इसी के चलते जहां एक ओर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. वहीं दूसरी ओर ऐसा लग रहा है कि प्रशासन भी प्रशासनिक मंजूरी, टेंडर प्रक्रिया, कार्य प्रारंभ आदेश के लिए दौड़-धूप करने लगा है.
खर्च में निर्माण एवं विभिन्न विकास कार्य शामिल
वित्तीय वर्ष 2023-24 में जिला परिषद को 82 करोड़ 69 लाख 97 हजार 200 रुपये का फंड प्राप्त हुआ. इस व्यय की अवधि मार्च 2025 से दो वर्ष है. आज तक 46 करोड़ 38 लाख 25 हजार 47 हजार रुपये खर्च किये जा चुके हैं. अत: अब अव्ययित व्यय के लिए 77 दिन शेष हैं. जिप प्रशासन को इस अवधि में करीब 36 करोड़ 66 लाख 14 हजार 653 रुपये खर्च करने को कहा गया है. इस निधि में प्रमुख व्यय में निर्माण एवं विभिन्न विभागीय योजनाएं एवं विकास कार्य शामिल हैं.

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