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मेलघाट में नहीं रुक रही मौतें, स्वास्थ्य विभाग की योजना नहीं होरी सफल 


अमरावती: आदिवासी बहुल क्षेत्र मेलघाट में माताओं और शिष्यों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। कई योजना चलाने के बाद भी इसमें किसी भी तरह की कोई गिरावट देखी नहीं जा रही है। मेलघाट के धरणी और चिखलदरा तहसील में अप्रैल से लेकर अगस्त के बीच डॉन माताओं सहित शून्य से लेकर छह साल के 110 बच्चों की मौत हुई है। जिसमें उनकी संख्या 77 और 33 है। अकेले अगस्त महीने में 36 बच्चों की मौत हुई। 
 

मेलघाट में पांच महीने में 2525 बच्चों का जन्म हुआ है। जिनमें से 110 बच्चों की मौत हो गई है। अगस्त महीने में 36 बच्चों की मृत्यु हुई  है। जिनमें अकेले 19 बच्चों की जान धरणी तहसील के उप जिला अस्पताल में हुई है। 
 

नहीं सुधर रही स्थिति 
 

मेलघाट में जहां आदिवासी बच्चों में कुपोषण की गंभीर समस्या है, वहीं राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं, कोर्ट के आदेश, आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल से अगस्त के 150 दिनों में मौत के आंकड़े कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग लगातार इस क्षेत्र से कुपोषण की समस्या को समापत करने का लगा हुआ है, लेकिन जो आकड़े आए हैं उससे यह किसी भी तरह से सफल होता नहीं दिख रहा है।

बारिश के कारण बड़ी समस्या 
 

बरसात के मौसम में इस क्षेत्र में बच्चों की मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जाती है। बारिश के कारण होने वाली बीमारियों के कारण कुपोषण से ग्रस्त बच्चों पर काफी तेजी से प्रभावित करता है। जिसके कारण उनकी मौत होती हैं। 
 

अस्पतालों में कई पद खाली 
 

कुपोषण के कारण हो रही बच्चों के मौतों के बीच एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है। जिसके तहत मेलघाट क्षेत्र में प्रस्तावित स्वास्थ्य कर्मियों के कई पद खाली पड़े हैं। जिन्हे अभी तक भरा नहीं गया है। क्षेत्र के मौजूद अस्पतालों में वर्तमान में 232 कुपोषण से ग्रसित बच्चे अस्पताल में भर्ती है। वहीं ग्रुप बी के 14 चिकित्सक सहित कर्मचारियों क पद खाली पड़े हैं।

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