घर में रखे रुई के फाहे से त्वचा रोग; कीमतों में गिरावट से बलिराजा परेशान, तीन सालों से नहीं बढे दाम

अमरावती: इस साल भी कई किसानों ने कीमत बढ़ने की उम्मीद में अपना कपास बिना बेचे घर पर ही जमा कर लिया है. लेकिन घर में कपास जमा करने से उन्हें स्वास्थ्य और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति जिले की विभिन्न तहसीलों में देखी जा रही है। किसान दुविधा में फंसे हुए हैं क्योंकि एक तरफ दाम नहीं बढ़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ घर में कपास रखने के कारण उन्हें त्वचा संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
जिले के अधिकांश तहसीलों में कपास की फसल बड़ी मात्रा में उगाई जाती है। हालांकि ख़रीफ़ सीज़न के दौरान काटे गए कपास की कटाई पूरी हो चुकी है, लेकिन कम कीमत के कारण किसानों ने इसे संग्रहीत कर लिया है। इसके कारण परिवार में बच्चों और बुजुर्गों को त्वचा संबंधी रोग हो रहे हैं। शरीर पर रुई लगने से खुजली होने लगती है, जिससे बच्चों को परेशानी होती है।
पिछले तीन साल से कपास की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। इससे हताश किसान कम दाम पर कपास बेच रहे हैं। संक्रांति बीत जाने के बावजूद भी बाजार में कपास की कीमतें अभी तक नहीं बढ़ी हैं। कपास की कीमत कब बढ़ेगी? इस पर सबका ध्यान है।
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