Bhandara : आठ महीने से निराधार योजना का मानदेय अटका, गरीब लाभार्थियों की बढ़ी मुसीबतें

भंडारा: जिले के तुमसर महाराष्ट्र सरकार की निराधार योजना के तहत आने वाले हजारों गरीब और जरूरतमंद लाभार्थियों को पिछले आठ महीनों से उनका मासिक मानदेय नहीं मिला है। पिछले साल नवंबर महीने से रुका यह भुगतान, खासकर दिवाली के बाद से, इन बेसहारा लोगों के लिए गंभीर संकट का कारण बन गया है, जिससे उनकी आजीविका पर गहरा असर पड़ा है।
इस योजना में विधवाएं, दिव्यांग व्यक्ति, परित्यक्ता महिलाएं, संजय गांधी निराधार योजना के लाभार्थी, तलाकशुदा और वृद्ध नागरिक शामिल हैं, जो सरकारी मदद पर निर्भर हैं। आठ महीने से मानदेय न मिलने के कारण इन सभी को दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करने और दवाओं का खर्च उठाने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय स्तर पर इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। एक तरफ राज्य सरकार की नई लाडली बहना योजना के लाभार्थियों को जहां समय पर भुगतान मिल रहा है, वहीं निराधार योजना के पात्रों को पैसों के लिए तरसना पड़ रहा है। यह स्थिति "लाडली बहना तुपाशी, निराधार उपाशी" (लाडली बहना घी खाएं, निराधार भूखे रहें) वाली चर्चा को जन्म दे रही है।
इस गंभीर मामले को उठाते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के विभाग प्रमुख अमित एच. मेश्राम ने लाभार्थियों के साथ मिलकर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने राज्य सरकार से इस ओर तत्काल ध्यान देने और निराधार लाभार्थियों का बकाया मानदेय शीघ्र अति शीघ्र जारी करने की पुरजोर मांग की है।
तुमसर तहसील में भी संजय गांधी निराधार योजना, श्रावणबाळ योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन जैसी योजनाओं के कई लाभार्थी हैं, जिन्हें महीनों से भुगतान नहीं मिला है। इन वृद्ध और असहाय लोगों के सामने यह यक्ष प्रश्न खड़ा है कि वे बिना पैसों के कैसे जीवनयापन करें और अपनी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को कैसे पूरा करें। सरकार से तत्काल राहत की उम्मीद की जा रही है।

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