अवैध शराब के अड्डे पर विधायक की छापेमारी, आबकारी विभाग के कार्य प्रणाली पर उठे सवाल

-पवन झबाडे
चंद्रपूर जिले के कोरपना तहसील के दुर्गाडी गांव में घटित अवैध शराब अड्डे पर विधायक देवराव भोंगळे की छापेमारी न केवल अबकारी विभाग के व्यवस्था की स्थिति पर प्रश्न उठता है साथ ही यह भी दर्शता है कि जब जनप्रतिनिधियों को मैदान में उतरना पड़ता है। यह घटना केवल एक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़ा संदेश है
आबकारी विभाग की सुस्ती और आमजन की पीड़ा का एक खरा प्रतिबिंब
राष्ट्रीय राजमार्ग निरीक्षण के दौरान ग्रामवासियों ने विधायक भोंगळे को गांव में चल रहे अवैध देशी शराब के व्यापार की जानकारी दी। इसके बाद विधायक ने खुद कार्रवाई करते हुए अड्डे पर छापा मारा और देशी शराब बरामद की गई। पूरी कार्रवाई ग्रामीणों की उपस्थिति में हुई,
आबकारी विभाग के ढांचे पर सवाल
इस कार्रवाई से आबकारी विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। यह अवैध धंधा गांव में खुलेआम चल रहा था, और यदि आम नागरिकों को इसकी जानकारी थी, तो फिर आबकारी विभाग को इसकी भनक क्यों नहीं लगी? क्या यह लापरवाही है, या फिर मिलीभगत का मामला?
विधायक की भूमिका
आम तौर पर विधायक नीतिगत और प्रशासनिक विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन यहां विधायक भोंगळे को प्रत्यक्ष मैदान में उतरकर छापेमारी करनी पड़ी। यह उनकी तत्परता और जनभावनाओं के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है, साथ ही यह भी दिखाता है कि जब जिम्मेदार संस्थाएं विफल होती हैं, तो जनप्रतिनिधियों को स्वयं हस्तक्षेप करना पड़ता है।
जनता की प्रतिक्रिया
गांववासियों ने विधायक की साहसिक कार्रवाई की सराहना की और यह अपेक्षा भी जताई कि जैसे विधायक ने त्वरित हस्तक्षेप किया, वैसे ही आबकारी विभाग को भी नियमित निरीक्षण और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। नागरिकों की यह अपेक्षा एक प्रकार से अबकारी विभाग के प्रति अविश्वास का संकेत है।

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