Gadchiroli: एटापल्ली तहसीलवासी सुविधाओं से वंचित, कार्यालय में अधिकारी नहीं

एटापल्ली. देश को स्वतंत्र हुए सात दशक की कालावधि पूर्ण हो गयी है. लेकिन जिले की नक्सलग्रस्त एटापल्ली तहसील के अनेक गांव आज भी आजादी की लड़ाई लड़ रहें है. केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जिले के विकास हेतु करोड़ों रूपयों की निधि मुहैय्या करायी जाती हैं, लेकिन इसके संचालन हेतु नियुक्त विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मुख्यालय में न रहने के कारण वर्तमान में तहसील के दर्जनों गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित है.
जिला प्रशासन द्वारा क्षेत्र के गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक शाला समेत अन्य सरकारी कार्यालय निर्माण किये गये है. मात्र इन कार्यालयों में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी मुख्यालय में न रहते हुए अन्य गांवों से प्रति दिन आवागमन कर रहें है. जिससे स्थानीय स्तर के विकास कार्य प्रभावित हो रहें है. गांवों में निर्माण किये गये पशु चिकित्सालयों में कोई डाक्टर उपस्थित न रहने से किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
तहसील के अधिकत्तर गांवों के अस्पतालों में अथवा उपकेंद्रों में डाक्टरों व कर्मचारियों को रहने पर सख्ती के आदेश नहीं दिये जा रहें है. प्राथमिक शालाओं की हालत भी ठिक इसी तरह है. स्कूल को खोल दिये गये हैं, लेकिन यहां पर शिक्षक पूर्ण समय के लिये नहीं पहुंचते. सुबह 10 बजे शाला खोलकर दोपहर 4 बजे ही शाला बंद कर दी जाती है. ग्रामीण अंचलों की शालाओं में कार्यरत शिक्षक भी अन्य गांवों से आवागमन करते पाये जा रहें है.
जिससे नन्हें विद्यार्थियों का भविष्य भी खतरें में आन पड़ा है. तहसील के अनेक गांवों तक पहुंचने के लिये पक्की सड़के नहीं बन पायी है. किंतु इस तहसील के विकास की ओर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी होने के कारण अब तक इस तहसील का विकास नहीं हो पाया है.

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