नागपंचमी 2025: अंधविश्वास से बचें, सर्प संरक्षण को अपनाएं!

नागपंचमी का पावन पर्व देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन नाग देवता की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की परंपरा है। लेकिन इस अवसर पर कुछ ऐसे अंधविश्वास भी फैलते हैं, जिनसे बचना अत्यंत आवश्यक है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, नागपंचमी पर नागों को देव तुल्य मानकर उनकी पूजा की जाती है। जगह-जगह बिलों की पूजा होती है और कुछ लोग तो नागों को दूध पिलाने का भी प्रयास करते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है।
नाग एक वन्यजीव है, कोई पालतू पशु नहीं। यह मांसाहारी होता है और इसका आहार चूहे, मेंढक और छोटे कीड़े होते हैं। दूध पीने से नागों को गंभीर बीमारियां हो सकती हैं और कई बार तो उनकी मृत्यु भी हो जाती है। यह हमारी धार्मिक भावनाओं के विपरीत है कि हम किसी जीव को नुकसान पहुंचाएं।
नाग को अंग्रेजी में 'कोबरा' कहते हैं और महाराष्ट्र में इसकी चार से पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह एक विषैला सांप है और इसका विष मनुष्य के लिए घातक हो सकता है।
नागों का प्रकृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। वे चूहों और अन्य हानिकारक जीवों की संख्या को नियंत्रित कर कृषि और पर्यावरण की रक्षा करते हैं। इसलिए उनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। हमें यह समझना होगा कि नाग एक सतर्क और खतरनाक प्राणी है। उससे दूर रहना ही समझदारी है। उसे पकड़ने या परेशान करने का प्रयास कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे वह हमला कर सकता है। नागों की विभिन्न प्रजातियाँ होती हैं, जिनमें से कुछ विषैली और कुछ विषहीन होती हैं।
तो नागपंचमी के अवसर पर हमारी सभी दर्शकों से यही अपील है कि नागों के प्रति श्रद्धा रखें, लेकिन अंधविश्वासों से दूर रहें। नागों को दूध न पिलाएं और उन्हें किसी भी प्रकार से हानि न पहुंचाएं। उनका प्राकृतिक आवास ही उनके लिए सबसे सुरक्षित है। नागों को पकड़ने या बेचने वाले लोगों को भी रोका जाना चाहिए। सांपों को उनके प्राकृतिक आवास में ही रहने देना चाहिए। यही सच्ची सर्प पूजा और संरक्षण है।

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