उपराजधानी के फुटपाथ हुए गायब, चलना तो छोड़िये दिखाई तक नहीं देते
नागपुर: साल 2000 का समय उपराजधानी बेहद नए कलेवर में तब्दील होता दिखाई दे रहा है। सड़क चौड़ीकरण के साथ आम जनता के लिए पैदल चलने के लिए फूटपाथ बनाएं गए। लेकिन दो दशक बाद शहर के फूटपाथ गायब हो चुके हैं। चलने के लिए तो छोड़िये, शहर में फूटपाथ तक दिखाई नहीं दे रहा है। शहर के समाजसेवी संगठन द्वारा किये गए सर्वे से हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। जिसके तहत शहर के विभिन्न हिस्सें के 3000 से ज्यादा फूटपाथ गायब हो गए हैं। या तो इन पर अतिक्रमण किया गया है या तो निर्माण के नाम पर तोड़ दिया गया है।
करोड़ों की लागत से बने फुटपाथ वैसे तो नागरिकों के चलने के लिए होते हैं, लेकिन असल में इनका इस्तेमाल फेरीवाले, छोटे दुकानदार और सब्जी विक्रेता करते हैं। इस संबंध में सिविक एक्शन ग्रुप (सीएजी) ने शहर के विभिन्न हिस्सों का सर्वेक्षण किया और सच्चाई सामने रखी। शहर में पैदल यात्रियों के लिए, नगर निगम, नागपुर सुधार ट्रस्ट ने विभिन्न क्षेत्रों में 300 किमी फुटपाथ का निर्माण किया है। इसका 70 फीसदी हिस्सा फुटपाथ पर अतिक्रमण कर लिया गया है। बाजार क्षेत्रों में 90 प्रतिशत फुटपाथ पर छोटे विक्रेताओं का कब्जा है।
सबसे ज्यादा अतिक्रमण पूर्व और मध्य नागपुर में है। अगला क्रम दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम नागपुर में बस्तियों का है। नागपुर में अतिक्रमण की समस्या बहुत बड़ी है। रेहड़ी-पटरी वालों पर कार्रवाई होने के बाद वे फिर उसी जगह पर आ जाते हैं। 'वीआईपी' दौरे के दौरान उन्हें अस्थायी रूप से हटा दिया जाता है। यदि मनपा और पुलिस सख्ती दिखाए तो एक भी रेहड़ी-फड़ी वाला यहां नहीं बैठ पाएगा। लेकिन, ऐसा नहीं होता। सीएजी का आरोप है कि यह खेल सालों से ऐसे चल रहा है जैसे फेरीवालों और मनपा अधिकारियों के बीच कोई समझौता हो। सिविक एक्शन ग्रुप (सीएजी) के विवेक रानाडे ने कहा कि प्रशासन को इस संबंध में नीति तय करनी चाहिए।
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