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Nagpur

निकाय चुनाव: मौजूदा स्थिति पर नहीं लगेगी रोक, अब मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में होगी सुनवाई; आरक्षण मर्यादा का पालन करें सरकार


नागपुर/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लोकल बॉडी चुनावों में OBC रिज़र्वेशन लिमिट पर सुनवाई मंगलवार तक टाल दी है। इसलिए, नगर पंचायत और नगर काउंसिल का मौजूदा चुनाव प्रोसेस वैसे ही चलता रहेगा। राज्य में लोकल बॉडी चुनावों में OBC रिज़र्वेशन लिमिट को लेकर कन्फ्यूजन के कारण स्थिति और गंभीर हो गई है। आरोप है कि OBC के लिए 27 परसेंट रिज़र्वेशन लागू करने के सरकार के फैसले ने कई शहरों में 50 परसेंट रिज़र्वेशन की मैक्सिमम लिमिट को पार कर लिया है। इसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।

इस मामले में सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को हर हाल में रिज़र्वेशन की मैक्सिमम लिमिट का पालन करने का निर्देश दिया था। साथ ही मौजूदा चुनाव प्रोसेस को रोकने के खिलाफ चेतावनी भी दी थी। इससे 2 दिसंबर को होने वाले नगर पंचायत और नगर काउंसिल के चुनावों पर अनिश्चितता का साया मंडरा रहा था। लेकिन आज कोर्ट ने इस संबंध में सुनवाई मंगलवार तक टाल दी है, जिससे यह साफ हो गया है कि फिलहाल चुनाव प्रोसेस वैसे ही चलता रहेगा।

आज सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

आज की सुनवाई में कोर्ट ने स्टेट इलेक्शन कमीशन के वकीलों से जिला परिषद और नगर निगम चुनावों के बारे में नोटिफिकेशन जारी करने के लिए कुछ समय इंतजार करने का अनुरोध किया। इसलिए, यह साफ़ है कि इस मामले में अगली सुनवाई तक, यानी मंगलवार तक यह नोटिफ़िकेशन जारी नहीं किया जाएगा।

इस मामले में वकीलों की दी गई जानकारी के अनुसार, कुछ लोकल बॉडीज़ का नोटिफ़िकेशन अभी जारी नहीं हुआ है। इसलिए, कोर्ट ने स्टेट इलेक्शन कमीशन के वकीलों से नोटिफ़िकेशन जारी होने का इंतज़ार करने को कहा। इसके अनुसार, मौजूदा चुनाव प्रक्रिया वैसे ही चलती रहेगी, लेकिन उसके नतीजे घोषित नहीं किए जाएँगे। इन चुनावों पर कोई रोक नहीं है। हालाँकि, जो नए चुनाव घोषित होने हैं, उनका नोटिफ़िकेशन मंगलवार तक जारी नहीं किया जाएगा। आज की सुनवाई में ज़िला परिषद चुनावों का कोई ज़िक्र नहीं हुआ। लेकिन यह कहा गया कि म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनावों का नोटिफ़िकेशन जारी नहीं हुआ है। इसका मतलब है कि ज़िला परिषद का नोटिफ़िकेशन भी मंगलवार तक जारी नहीं किया जाएगा, उन्होंने कहा।

पिटीशनर को रिज़र्वेशन पर क्या आपत्ति थी?

इस मामले में पिछली सुनवाई में, पिटीशनर ने कोर्ट का ध्यान इस बात की ओर दिलाया था कि मराठवाड़ा में कई म्युनिसिपैलिटीज़ में 27 परसेंट OBC रिज़र्वेशन लागू होने के बाद रिज़र्वेशन का परसेंटेज बढ़ गया था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने सोमवार की सुनवाई में विकास गवली की इस पिटीशन पर अपना गुस्सा ज़ाहिर किया था। इसमें कोर्ट ने कहा था कि उसने अपने पिछले ऑर्डर में कहा था कि बंथिया कमीशन से पहले जो हालात थे, उसी हिसाब से चुनाव होने चाहिए। यानी, बिना OBC रिज़र्वेशन वाले प्लान का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने इस ऑर्डर का अपने हिसाब से मतलब निकाला और रिज़र्वेशन बढ़ा दिया।

इस सुनवाई में कई मुद्दों पर गरमागरम बहस हुई। राज्य के एडवोकेट जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि चुनाव का प्रोसेस शुरू हो गया है और कुछ डेडलाइन नहीं बढ़ाई जा सकतीं। हालांकि, कोर्ट ने उनके कारणों से संतुष्टि नहीं जताई। जस्टिस सूर्यकांत ने साफ शब्दों में कहा, हमारा ऑर्डर बहुत सीधा था, लेकिन आपके अधिकारियों ने गड़बड़ कर दी है। अगर रिज़र्वेशन 50 परसेंट से ज़्यादा हुआ, तो हम चुनाव का प्रोसेस रोक सकते हैं। जस्टिस जॉयमाला बागची ने संविधान में रिज़र्वेशन की लिमिट का हवाला देते हुए सरकार को एहतियातन चेतावनी भी दी। राज्य सरकार के और समय मांगने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई आज तय की है और उसके बाद चुनाव की किस्मत का फैसला होगा।

19 से 21 नवंबर के बीच एप्लीकेशन वापस लेने का मौका

इस बीच, राज्य में 246 म्युनिसिपल काउंसिल और 42 म्युनिसिपल पंचायतों के लिए चुनाव का प्रोसेस शुरू हो गया है। नॉमिनेशन फाइल करने की डेडलाइन कल खत्म हो गई और आज से एप्लीकेशन की स्क्रूटनी शुरू हो गई है। वैलिड कैंडिडेट्स की लिस्ट अनाउंस होने के बाद, कैंडिडेट्स को 19 से 21 नवंबर के बीच अपनी एप्लीकेशन वापस लेने का मौका मिलेगा। सिंबल के साथ कैंडिडेट्स की फाइनल लिस्ट 26 नवंबर को अनाउंस की जाएगी। 2 दिसंबर को वोटिंग होगी और 3 दिसंबर को रिजल्ट अनाउंस किए जाएंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के कारण यह पूरा प्रोग्राम सवालों के घेरे में आ गया है।

कोर्ट के अगले ऑर्डर का इंतजार

फिलहाल, कोर्ट की सुनवाई के अगले स्टेज डिसाइडिंग होंगे। कोर्ट ने फिर से सख्ती से रिजर्वेशन लिमिट का पालन करने के ऑर्डर साफ किए हैं। इसलिए, लोकल बॉडी इलेक्शन टाइम पर होंगे या पोस्टपोन होंगे, यह इस बात पर डिपेंड करता है कि सरकार अब क्या फैसला लेती है, बंठिया कमीशन की रिपोर्ट को कैसे पेश करती है और कोर्ट का क्या रिएक्शन होता है। आम नागरिक, उम्मीदवार और राजनीतिक दल अब सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार कर रहे हैं।