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नागपुर सेंट्रल जेल में बन रहा है नया फांसी यार्ड, एक साथ दो दोषियों को दी जा सकेगी फांसी


नागपुर: सेंट्रल जेल में अब एक साथ दो दोषियों को फांसी देने की सुविधा वाला फांसी यार्ड लगभग तैयार हो चुका है। इससे नागपुर उन चुनिंदा शहरों की सूची में शामिल हो जाएगा जहाँ मृत्युदंड की सजा को एकसाथ दो अपराधियों पर लागू किया जा सकेगा।

महाराष्ट्र की नागपुर सेंट्रल जेल में नया फांसी यार्ड लगभग बनकर तैयार है। पुराने और आउटडेटेड यार्ड की जगह अब अत्याधुनिक प्रणाली से युक्त नया तख्ता बनाया गया है। इसकी साइज 2.5 बाय 1.2 मीटर रखी गई है। फांसी का ये यार्ड दो अपराधियों को एक साथ लटकाने की क्षमता रखता है, जो देश में बहुत कम जगहों पर उपलब्ध है।

याद दिला दें कि नागपुर जेल में आखिरी बार वर्ष 2015 में याकूब मेमन को फांसी दी गई थी, जो 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट का दोषी था। उस दौरान सामने आई तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियों के बाद इस नए फांसी यार्ड के निर्माण का निर्णय लिया गया।

गृह मंत्रालय ने फरवरी 2020 में इसके निर्माण का आदेश दिया था। पीडब्ल्यूडी को कार्य की ज़िम्मेदारी दी गई और दिसंबर 2022 में वर्क ऑर्डर जारी हुआ। अब केवल प्लास्टर का कार्य बचा है और अधिकारियों का दावा है कि दो महीने में यार्ड पूरी तरह से चालू हो जाएगा।

फांसी के तंत्र को विकसित करने के लिए वीएनआईटी नागपुर से तकनीकी सहायता ली जा रही है। सूत्रों की मानें तो विशेषज्ञों की टीम ने साइट का निरीक्षण भी कर लिया है और अगले 15 दिनों में पूरा सिस्टम तैयार कर लिया जाएगा।

दुनिया भर में केवल 55 देश ही ऐसे हैं जहाँ फांसी की सजा दी जाती है, भारत उनमें शामिल है। जबकि 144 देशों ने इसे खत्म कर दिया है। हमारे पड़ोसी देशों में केवल नेपाल ने फांसी बंद की है।

भारत में हर साल औसतन 131 अपराधियों को मौत की सजा सुनाई जाती है। 2024 में सबसे ज्यादा 130 मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए, इसके बाद गुजरात में 71, महाराष्ट्र में 42 और पश्चिम बंगाल में 37 मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई। वर्तमान में देशभर में 544 ऐसे कैदी हैं जिन्हें फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दो वर्षों में किसी भी सजा को अंतिम मुहर नहीं दी है।