वर्ण और जाति की अवधारणा को छोड़े,यह व्यवस्था एक भूतकाल थी-भागवत

नागपुर- सामाजिक सुधार की दृष्टि से संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने एक बड़ी बात कही है.नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान दिए गए अपने भाषण में भागवत ने कहां की जाति और वर्ण की व्यवस्था को भूतकाल समझ कर उसे भूल जाये। भागवत ने कहां ..…
वर्ण,जाति क्या थी उसकी क्या उपयोगिता थी.उसमें पहले विषमता थी ठीक है.पर आज अगर किसी से पूछा जाये तो, जिन्हे समाज की चिंता है उन्हें इसका उलटा जवाब देना पड़ेगा। यही समाज के हित में है.जाति और वर्ण व्यवस्था को हमें भूतकाल समझ कर भुला देना पड़ेगा। "Everything that causes Discrimination should go out lock, stock, and barrel"

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