डीसीएम की अधिकारियों को बिलो टेंडर को लेकर तक़ीद

नागपुर- एक साथ कई जिलों में पालकमंत्री,डीसीएम देवेंद्र फडणवीस जिला नियोजन समिति की बैठकों में व्यस्त है.नागपुर उनका गृह जिला है इसलिए जनता के साथ जनप्रतिनिधियों को अपने विधायक,वित्त मंत्री,पालकमंत्री,उपमुख्यमंत्री से ज्यादा उम्मीदें होनी लाजमी है.वैसे गुरुवार को फडणवीस द्वारा ली गई डीपीडीसी की बैठक में उन्होंने कई सौगातें दी.विकास खर्च पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया,फडणवीस ने यह भी कहा की चूँकि अब वित्त मंत्री ही जिले का पालकमंत्री भी है तो विकास के लिए खास निधि की जरूरत नहीं वो खुद इसे मैनेज कर लेंगे। डीपीडीसी की हुई इस बैठक से इतर फडणवीस द्वारा कही गई एक बात बेहद महत्वपूर्ण है जो न सिर्फ क्वालिटी काम से जुडी है बल्कि भ्रष्टाचार से भी जुडी है.विकास काम तय निधि से कितना अधिक हो या कितना कम हो सामान्यतः इसके लिए सेंट्रल पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट द्वारा तय निष्कर्ष के हिसाब से ही टेंडर निकालकर काम होता है.लेकिन बीते कुछ दौर से देखा गया है की किसी काम की तय निधि से बिलो ( कम ) जाकर काम हो रहे है. ऐसा ठेकेदार द्वारा काम हासिल कर लिए जाने को लेकर होता है उदहारण : लेकिन सवाल यह है कि जिस काम के लिए सरकार ने ही 10 लाख रूपए की लागत तय की हो वह कम दाम में कैसे संभव है वह भी क़्वालिटी के साथ,सरकारी काम में यह झोल बड़ा है.इसलिए गुरुवार को हुई बैठक में फडणवीस ने साफ किया की अगर 30 % से बिलो टेंडर मंजूर हुआ तो इसकी जिम्मेदारी सीधे अधिकारी की होगी।बिलो टेंडर से मान्य और हुए कामों की गुणवत्ता में किसी तरह की कमी आती है तो इसके लिए न केवल सीधे अफ़सर पर सवाल उठेंगे बल्कि कार्रवाई भी होगी।
बैठक में विधायकों ने कम रेट में टेंडर उठाकर घटिया दर्जे का काम किये जाने का सवाल उठाया इसी के जवाब में फडणवीस ने यह चेतावनी जारी की.अगर इस चेतावनी का असर होता है तो इससे काम की गुणवत्ता में निश्चित ही सुधार होगा।

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