Sai Baba: हाईकोर्ट के निर्णय को उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया दुखद, फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नागपुर: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने शुक्रवार को नक्सल गतिविधियों में शामिल होने को लेकर जेल में सजा काट रहे साईं बाबा और उनके सहयोगियों को बरी कर दिया। अदालत के इस फैसले पर राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अदालत के निर्णय को दुखद बताते हुए कहा कि, फैसला शहीदों के परिवारों के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निराशाजनक है। नागपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने यह बात कहि। इसी के साथ उन्होंने आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर करने की जानकारी दी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, “इतने सारे सबूतों के बाद भी तकनीकी त्रुटि के कारण ऐसे व्यक्ति को जाने देना उचित नहीं है। जो लोग नक्सलवाद के खिलाफ लड़ते हैं, जिन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है। यह उन पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों के लिए बेहद चौंकाने वाला फैसला है, जिनके वाहन माइंस लगाकर उड़ा दिए गए। उन शहीद परिवारों के लिए यह बेहद दुखद है। हम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।”
ज्ञात हो कि, 2014 में माओवादी संगठन से लिंक को लेकर साई बाबा सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें एक पत्रकार और एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का छात्र भी शामिल था। 2017 में गडचिरोली की जिला अदालत ने सभी को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सभी आरोपी नागपुर के सेंट्रल जेल में बंद हैं।

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