महाराष्ट्र में आज से दीपावली की शुरुआत, धूमधाम से मनाया जा रहा वसुबारस

नागपुर: आप में से कई लोगों को 'दिन दिन दिवाली गाय-महाशी ओवाली' यह मराठी गीत याद होगा। यह गीत दिवाली के त्योहार पर ग्रामीण क्षेत्रों में गुनगुनाया जाता है। भारत में दिवाली की शुरुआत कई तरह से होती है। लेकिन महाराष्ट्र में आज के दिन से वसुबारस के साथ दिवाली की शुरुआत हो गई है।
हिंदू धर्म में गाय को बहुत पवित्र माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है। गाय को माता का दर्जा दिया जाता है और उसकी सेवा की जाती है। कहा जाता है कि गाय में 33 कोटी देवताओं का वास होता है। दिवाली की असली शुरुआत गाय की पूजा यानी वसुबारस के त्योहार से होती है। यह त्योहार धनतेरस से एक दिन पहले यानी गोवत्स द्वादशी को मनाया जाता है। आज नागपुर सहित महाराष्ट्र में सभी जगह वसुबारस मनाया जा रहा है।
महाराष्ट्र में आज से दीपावली पर्व का शुभारंभ हो गया है। पूरे राज्य में पारंपरिक उल्लास और धार्मिक आस्था के साथ वसुबारस का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन गोवंश की पूजा और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। वसुबारस के अवसर पर महिलाओं ने प्रातः स्नान करके गोरस यानी गाय और बछड़ों की पूजा की तथा घर-आंगन में दीप प्रज्वलित किए।
नागपुर सहित राज्य भर में सुबह से ही पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया। किसानों ने अपने गोवंश को स्नान कराकर उन्हें पुष्पमालाएं पहनाईं और पारंपरिक व्यंजन से उनका स्वागत किया। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से भक्ति के वातावरण में वसुबारस मनाई जा रही है।शहरों में भी लोगों ने घरों की सजावट, दीपों की पंक्तियों और रंगोली से उत्सव का स्वागत किया। बाजारों में सजावट सामग्री, मिठाइयों और दीपों की खरीदी जोरों पर है। वहीं छोटे व्यवसायियों और मिठाई दुकानदारों में दीपावली पर्व को लेकर खास उत्साह देखा जा रहा है। व्यापारियों का मानना है कि वसुबारस के साथ ही शुभ खरीदारी का समय शुरू हो जाता है।
परंपरा के अनुसार, वसुबारस का यह पर्व मातृत्व, पालन-पोषण और धन-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। महाराष्ट्रभर में वसुबारस के साथ शुरू हुआ यह पांच दिवसीय दीपोत्सव अब धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन और भाऊबीज के दिन तक उत्सव के रंग बिखेरता रहेगा।

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