अनाथालय से अधिकारी पद तक का सफर: चुनौतियों के बावजूद माला पापलकर बनी राजस्व सहायक

नागपुर: विपरीत परिस्थितियों में भी दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास के साथ अपने सपने को साकार करने वाली माला की सफलता की कहानी आज सभी के लिए प्रेरणा बन गई है। पद्मश्री शंकरबाबा पापलकर के वज्जर (अचलपुर) स्थित अनाथालय में पली-बढ़ी माला शंकरबाबा पापलकर अब नागपुर जिला कलेक्ट्रेट में राजस्व सहायक के पद पर कार्यरत हैं। कड़ी मेहनत, लगन और शिक्षा के बल पर एक अनाथ लड़की का अधिकारी बनने का यह सफर वाकई समाज के लिए एक आदर्श बन गया है।
माला के माता-पिता नहीं थे। उस दौरान, शंकर बाबा पापलकर उसे अपने आश्रम में लाए, उसका नाम रखा, उसे अपने संरक्षण में लिया और उसे जीवन की दिशा दी। माला ने भावुक होकर कहा, “मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन बाबा ने मुझे आत्मविश्वास दिया।” 2021 में, उसने एमपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। परीक्षा के दौरान शारीरिक चुनौतियों के बावजूद, उसके शिक्षकों ने उसे एक लेखक प्रदान किया और उसकी कड़ी मेहनत को प्रोत्साहित किया। अंततः, उसकी लगन के फलस्वरूप, उसका चयन नागपुर जिला कलेक्टरेट में हो गया।
इस अवसर पर शंकरबाबा पापलकर ने कहा, “बांस से बनी बासुरी में छेद होने के बाद भी वह गीत गाती है, जीवन अच्छा है, वह दुःख में भी मुस्कुराती है, बासुरी की सीने में घाव हैं और फिर भी वह गीत गाती है। वह आज जहां है, यह एक बड़ा चमत्कार है। यह न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक जीत भी है। भारत में अनाथों के पुनर्वास की प्रक्रिया अभी भी अधूरी है। माला की नियुक्ति देश में पुनर्वास प्रणाली को एक नई दिशा देगी। इसने दिखाया है कि अगर मौका दिया जाए तो एक अनाथ भी अधिकारी बन सकता है।”
माला की सफलता ने आश्रम के अन्य बच्चों को नई प्रेरणा दी है। समुदाय के कई लोगों ने उनकी सफलता पर खुशी जताई है। उनकी जीवन यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि परिस्थितियाँ नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प ही किसी व्यक्ति को ऊँचाई तक पहुँचाता है। माला पापलकर सिर्फ़ एक आश्रम की लड़की नहीं हैं, बल्कि आशा की एक किरण हैं जो समुदाय को दिखाती हैं कि अगर कड़ी मेहनत और उचित मार्गदर्शन हो, तो किसी भी परिस्थिति में सपने साकार हो सकते हैं।

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