logo_banner
Breaking
  • ⁕ नागपुर शहर में सुबह से हो रही जोरदार बारिश, जमकर गरज रहे बादल, छाए घनघोर काले बादल ⁕
  • ⁕ मानसून के दौरान चिखलदरा में टूटा पर्यटकों का रिकॉर्ड, चार महीने में पहुंचे ढाई लाख पर्यटक, नगर परिषद को हुई 56 लाख की आया ⁕
  • ⁕ मनकापुर फ्लाईओवर पर बड़ा हादसा, स्कुल वैन और बस में आमने-सामने जोरदार टक्कर; हादसे में आठ बच्चे घायल, एक की हालत गभीर ⁕
  • ⁕ Akola: चलती कार में लगी आग, कोई हताहत नहीं ⁕
  • ⁕ Akola: पातुर से अगिखेड़ खानापुर मार्ग की हालत ख़राब, नागरिकों ने किया रास्ता रोको आंदोलन ⁕
  • ⁕ एक हफ्ते बाद नागपुर में बरसे बादल, नागरिकों को मिली उमस से राहत ⁕
  • ⁕ Amravati: गणेशोत्सव मंडलों के बीच विवाद में चाकूबाजी; एक घायल, आरोपी फरार ⁕
  • ⁕ मेलघाट में बारू बांध टूटा; सड़क पर पानी बहने से यातायात बाधित ⁕
  • ⁕ अकोला में चोर ने निर्गुण नदी के पुल से चुराए लिए 105 फाटक, आरोपी की हो रही तलाश ⁕
  • ⁕ पूर्व विदर्भ में अगले 24 घंटे में होगी भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट; प्रशासन ने की नागरिकों से सतर्क रहने की अपील ⁕
Nagpur

फोटो फीचर स्टोरी- पुरानी तकनीक से हैरिटेज "ओल्ड हाईकोर्ट बिल्डिंग का हो रहा पुनर्निर्माण"


नागपुर में कई ऐतिहासिक इमारतें है.इन ईमारतों की उम्र सैकड़ों साल पुरानी है.इन्ही ईमारतों में से एक है ओल्ड हाईकोर्ट बिल्डिंग जो शहर की एक मात्र राष्ट्रीय संरक्षित धरोहर है. 


ओल्ड हाईकोर्ट बिल्डिंग ब्रिटिश काल के दौरान 1893 में बनकर तैयार हुई थी. इसके बाद यहां ज्यूडिशियल कमिश्नर का कार्यालय संचालित हुआ.1935 में ये बंद हो गया, इसके बाद 1950 तक यहां सचिवालय रहा. जिसके बाद 1958 में भारतीय पुरातत्व कार्यालय संचालित हुआ.


2015 में नागपुर में एएसआई नागपुर सर्किल का कार्यालय बना. जो सेमिनरी हिल्स स्थित नई ईमारत में शिफ्ट कर दिया गया. 2017 में ओल्ड हाईकोर्ट को संरक्षित घोषित किया गया.


ओल्ड हाईकोर्ट जर्जर हो चुकी है जिसे संरक्षण का निरंतर प्रयास होता रहा. लेकिन वर्ष 2019 में आयी तेज बारिश के कारण इमारत का पोर्च पूरी तरह से टूट का ढह गया था.


भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा पोर्च के मरम्मत का काम किया जा रहा है। अब तक यह कार्य लगभग 90 % तक पूरा हो चुका है.और जल्द ही इसके पूरा होने की उम्मीद ASI अधिकारियों ने जताई है. 


मरम्मत के काम की सबसे ख़ास बात ये है कि इस पोर्च को पुराने डिजाईन के अनुरूप ही ईंटे बनवाकर उन्हें गुड़, चूना, बेल, अंडे, जूट और उड़द की दाल से तैयार मसाले से जोड़ा जा रहा है.


नागपुर की मेसर्स वड़गांवकर एजेंसी को पोर्च बनाने का जिम्मा दिया गया है 2022 की शुरुआत में इसका काम शुरू हुआ.


मौजूदा दौर में सीमेंट और रेत के मसाले से ईंटों की जुड़ाई की जाती है. लेकिन इस पोर्च को बनाने के लिए पुराने डिजाइन की ही ईंटे बनवाकर उन्हें जोड़ा जा रहा है. इसी मसाले के दम पर यह इमारत इतने साल से टिकी है. और करीब 130 साल बाद यह पहला मौका है जब इसका सुधार पुराने तरीके से किया जा रहा है.