केंद्र सरकार की बढ़ी मुश्किलें, निजीकरण को लेकर भारतीय मजदूर संघ 17 नवंबर को दिल्ली में करेगा आंदोलन
नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए भारतीय मजदुर संघ ने केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का ऐलान कर दिया है। लगातार किए जा रहे निजीकरण के विरोध में मजदुर संघ 17 नवंबर को दिल्ली में आंदोलन करेगा। इस बात की जानकारी अखिल भारतीय महासचिव रवींद्र हिमटे ने दी। हिमटे ने कहा कि, इस मार्च में देश भर से एक लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे। इसी के साथ उन्होंने कहा, 28 दिसंबर को विदर्भ और अन्य राज्यों में असंगठित कामगारों की बैठक और मार्च निकाला जाएगा।
गंभीर नहीं है सरकार
देश में असंगठित कामगारों की कई समस्याएं हैं और सरकार इस मामले में ज्यादा गंभीर नहीं है। उनकी सामाजिक सुरक्षा का मसला आज गंभीर हो गया है। हम इस विषय पर विदर्भ सहित देश भर के विभिन्न राज्यों में कार्यकर्ताओं की बैठकें और बैठकें कर रहे हैं। इसके लिए हमारी योजना तैयार है। कुरुक्षेत्र की अगले महीने राष्ट्रीय बैठक है। इसमें हमारी भूमिका स्पष्ट करेंगे।
हम पर किसी का दबाव नहीं
भारतीय मजदूर संघ संघ से जुड़ा एक संगठन है, लेकिन हम पर संघ का कोई दबाव नहीं है। हम टीम की समन्वय बैठक में अपनी स्थिति प्रस्तुत करते हैं। उस समय केंद्र सरकार के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद होते हैं। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव सरकार और मजदूर संघ के बीच एक कड़ी के रूप में संपर्क में हैं। हिमटे ने यह भी कहा कि अगर हम सरकार के सामने अपनी स्थिति पेश करते हैं और सरकार द्वारा नजरअंदाज किया जाता है, तो हमारे रास्ते खुले हैं।
हम किसी भी सरकार के समर्थक नहीं
हिमटे ने कहा, हम किसी भी सरकार के समर्थक नहीं है। सरकार अपना काम करती है, हम अपना काम करते हैं। मजदूर रहेंगे तो देश रहेगा। विपक्ष ही विपक्ष नहीं है और वह हमारा काम नहीं है। हालांकि, अगर केंद्र सरकार कई कंपनियों का निजीकरण करना शुरू कर देती है या श्रमिकों के हित में निर्णय नहीं लेती है, तो हम पूरे देश में सरकार के खिलाफ विरोध करेंगे। सरकार कई फैसले लेते हुए हमें विश्वास में ले रही है। लेकिन उन पर अमल नहीं हो रहा है। सरकार को महंगाई पर काबू पाना चाहिए। हम छूट लेने और कीमतें कम करने का समर्थन नहीं करेंगे। लेकिन सरकार को पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए।
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