लॉ कॉलेज में बने प्रिएंबल पार्क का भव्य उद्घाटन; CJI भूषण गवाई, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी रहे मौजूद

नागपुर: न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता को समर्पित प्रिएंबल पार्क का उद्घाटन आज शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवाई, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया। नागपुर शहर के लॉ कॉलेज परिसर में यह पार्क बनाया गया है। इस दौरान भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्ति का अनावरण भी किया गया। करीब नौ करोड़ की लागत से इस पार्क का निर्माण किया गया है।
न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता को समर्पित किया गया है। पार्क में संविधान की प्रस्तावना की भित्तियाँ उकेरी गईहै। इस के साथ बाबा साहब अंबेडकर की प्रेरणादायक प्रतिमा भी बनाई गई है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिकृति भी बनाई गई है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गडकरी, मुख्यमंत्री फडणवीस, सीजेआई भूषण गवाई सहित पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, राज्य मंत्री आशीष जायसवाल, विधायक नितिन राउत सहित कॉलेज विभिन्न हाईकोर्ट में न्यायाधीश , पूर्व छात्र मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान पूर्व छात्र के तौर पर गडकरी, फडणवीस सहित विभिन्न न्यायाधीश का सत्कार किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा, मैं और मुख्यमंत्री इसी कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। इस कॉलेज ने देश को बड़े बड़े नेता और न्यायाधीश दिए। इसका इतिहास बेहद गौरवशाली है। डॉ.आंबेडकर की मूर्ति के अनावरण पर ख़ुशी जताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कॉलेज में ई लाइब्रेरी बनाने के लिए सांसद निधि से एक करोड़ रूपये देने की घोषण भी की।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "जिस महाविद्यालय में भारतीय संविधान के पाठ हमने सीखे, हमारे कार्यो में जिस महाविद्यालय के कारण शामिल हुए उसी में आज बेहद संविधान उद्देशिका पार्क बनाया गया है। डॉ. आंबेडकर ने सभी को समान अधिकार देने वाला संविधान का निर्माण किया। भारतीय संविधान का अमृत महोत्सव के दौरान इस पार्क का निर्माण बेहद महत्वपूर्ण है।"
मुख्य न्यायाधीश भूषण गवाई ने कहा, "मुझे आनंद है कि, मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद जब पहली बार नागपुर आया तो मुझे प्रिएंबल पार्क का उद्घाटन करने का मौका मिला। संविधान के हम 75 वा साल मना रहे हैं। संविधान निर्माण में सभी का साथ रहा है, लेकिन सबसे योगदान डॉ. आंबेडकर रहा इसे कोई नकार नहीं सकता।" इस दौरान उन्होंने संविधान सभा में डॉ. आंबेडकर के चयन सहित उसके बाद संविधान निर्माण के समय उनके विचारों को भी प्रकट किया।

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