ओबीसी समाज को आरक्षण का संवैधानिक अधिकार देकर नाराजगी को कम करना चाहिए

नागपुर: वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने मांग कि है की ओबीसी समाज को संविधान द्वारा दिए गए 27 फ़ीसदी आरक्षण को स्थाई रूप से दे दिया जाना चाहिए। उनके मुताबिक आरक्षण नहीं मिलने की वजह से ओबीसी समाज में रोष व्याप्त है और संविधान में दी गयी 50% आरक्षण की सीमा वैसे ही तोड़ी जा चुकी है.उनका कहना है की इकोनोमिकल बैकवर्ड क्लास को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की वजह से आरक्षण की सीमा 60 % फीसदी हो चुकी है.इसके साथ आदिवासी समाज को जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया जाता है जिस वजह से राज्य में हर जगह ओबीसी समाज को 27% आरक्षण नहीं मिल रहा है.मराठा समाज के आरक्षण का विषय भी लंबित है.ऐसे में आरक्षण के विषय का स्थाई समाधान निकालकर ओबीसी को संविधान में दिए गए अधिकार को दिया जाना चाहिए। मौजूदा व्यवस्था से 54% जनसंख्या ही हिस्सेदारी होने के बावजूद ओबीसी समाज को 27% आरक्षण नहीं मिल रहा है.
मुख्यमंत्री जब नगर विकास मंत्री थे तब प्रभाग रचना लेकर आये थे अब उसे बदल दिया गया
राज्य सरकार ने नए सिरे से प्रभाग रचना निकाले जाने का निर्णय लिया है.इस पर छगन भुजबल ने कहा की उन्हें समझ में नहीं आ रहा है ऐसा क्यों किया जा रहा है.क्यूंकि पिछली बार मौजूदा मुख्यमंत्री जो नगर विकास मंत्री थे तब उन्होंने प्रभाग रचना लायी थी.हम उन्हें कह रहे थे की प्रभाग रचना दो सदस्यों की की जाये नहीं तो चार की लेकिन उन्होंने तीन सदस्यीय प्रभाग रचना का फॉर्म्युला लाया मुझे समझ में नहीं आता की ऐसा क्यों किया गया था और अब नयी प्रभाग रचना क्यों की जा रही है?

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