राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से भाजपा में खलबली! जहां से निकली यात्रा उन जिलों का करेंगे दौरा बावनकुले

नागपुर: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में शुरू भारत जोड़ो यात्रा विदर्भ और महाराष्ट्र को पार कर मध्य प्रदेश में पहुंच गई है। राज्य के पांच जिलों से निकली यात्रा को जनता से अच्छा समर्थन मिला है। राहुल की यात्रा का काट निलकने के लिए रणनीति बनाई है, जिसके तहत आने वाले महीने में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले इन जिलों का दौरा करने वाले हैं। इस दौरान वह संगठन को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी करेंगे। इस बात की जानकारी खुद बावनकुले ने गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए दी।
इन पांचों जिलों में आठ दिसंबर से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले खुद सोलापुर से मैदान में उतरेंगे. सोलापुर से नांदेड़, हिंगोली, वाशिम और शेगाव पहुंचेंगे। इस दौरान वह संगठन की बैठक करेंगे। बावनकुले ने दौरे की जानकारी देते हुए कहा क़ी, "मैं इसलिए नहीं जा रहा हूं क्योंकि राहुल गांधी यहां से यात्रा कर गए हैं। मेरा दौरा संगठन को और मजबूत करने के लिए है। उन्होंने कहा कि, "राहुल गांधी के दौरे के बाद कई जगहों पर कांग्रेस के लोग भाजपा में शामिल होंगे। भारत जोड़ो यात्रा को नेताओं ने हाईजैक कर लिया। हालांकि, बावनकुले ने कहा कि आम कार्यकर्ता यात्रा से दूर रहे।
प्रत्येक जिले में 14 घंटे का समय
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले प्रत्येक जिले में कार्यकर्ताओं के लिए 14 घंटे का समय देंगे। इसमें वे सांगठनिक मामलों पर चर्चा करेंगे। इस दौरे के दौरान बावनकुले संबंधित जिले का पूरा जायजा लेंगे। बावनकुले ने यह भी कहा कि हम दिखा देंगे कि राहुल गांधी के दौरे से कुछ हासिल नहीं हुआ है। बावनकुले ने यह भी कहा कि आने वाले से पता चलेगा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का कोई असर नहीं हुआ।
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा राज्य के पांच जिलों से गुजरी। जिसमें नांदेड़, हिंगोली, अकोला, वाशिम और बुलढाणा हैं। इन पांच जिलों में दो मराठवाड़ा और तीन विदर्भ के थे। हिंगोली और नांदेड़ कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक चौहान और उनके पिता लगातर यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा और लोकसभा पहुंचते रहे हैं, लेकिन 2014 के बाद भाजपा ने इन जिलों में खुद को मजबूत कर लिया, जिसके कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में अशोक चौहान को हार का सामना करना पड़ा था। यहीं हाल विदर्भ का ही है। हालांकि, विदर्भ के तीनों जिलों में भाजपा-शिवसेना का पिछले 20 साल से कब्ज़ा है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मिला बल
पिछले कई सालों से गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से नहीं संजीवनी मिली है। जो नेता एक दूसरे को देखना नहीं पसंद करते थे वह इस यात्रा में कंधे से कंधा मिलाकर चलते दिखाई दिए। वरिष्ठ नेताओं के एक साथ आने के कारण कार्यकर्ताओं में नया जोश देखने को मिल रहा है। जो कार्यकर्ता और नेता अपने भविष्य को देखते हुए पार्टी को छोड़कर अन्य दलों में जाने की तैयारी कर रहे थे वह अब नए जोश के साथ मैदान में उतरने की ताल थोक रहे हैं।

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