प्रशासन की लापरवाही से हुई बच्ची की मौत! वेंटिलेटर होता चालू तो बच सकती थी जान

नागपुर: मध्य भारत के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेडिकल में शुक्रवार को एक 17 वर्षीय नाबालिग की मौत का मामला चर्चा में बना हुआ है। इस घटना के बाद से सभी तरफ मेडिकल प्रशासन की आलोचना हो रही है।बच्ची की मौत को लेकर नागरिको में बड़ा रोष है। साथ ही सवाल उठ रहा है कि, जिस अस्पताल में रोजाना हजारों की संख्या में मरीज आते हैं वहां वेंटिलेटर चला कैसे नहीं? इसी बीच एक बड़ी जानकारी सामने आई है। जिसके तहत बच्ची जिस वार्ड में भर्ती थी उसका वेंटिलेटर बंद था।
गौरतलब हो कि, मेडिकल में मौजूद वेंटिलेटर के रखरखाव को लेकर वहां के नर्सों और डॉक्टरों द्वारा लगातार मेडिकल प्रशासन से अवगत कराया था। लेकिन उसके बावजूद प्रशासन ने उस कोई निर्णय नहीं लिया।
बच्ची एक्स्ट्राहेपेटिक पोर्टल वेन ऑब्स्ट्रक्शन नामक बेहद बीमारी से ग्रसित थी। जिसके कारण वह लगातार खून की उल्टी करती थी। बुधवार को बच्ची को बेहद नाजुक हालात में मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया। बच्ची की हालत देखते हुए उसे वेंटिलेटर में रखने का निर्णय लिया गया। लेकिन आईसीयू 25 के सभी 30 वेंटिलेटर पहले से ही मरीजों को लगाया गए थे। बच्ची की हालात देखते हुए डॉक्टरों ने उसे वार्ड नंबर 48 में रखा गया और वहां मौजूद वेंटिलेटर को लगाया गया। लेकिन वह वेंटिलेटर नहीं चला। जिसके बाद डॉक्टरों ने बच्ची के माता-पिता को ब्रीथिंग एयरबैग दिया जिससे बच्ची को ऑक्सीजन दी जा सके।
बच्ची की स्थिति नाजुक होने और समय पर वेंटिलेटर नहीं मिलने के कारण शुक्रवार शाम को बच्ची में दम तोड़ दिया। मिली जानकारी के अनुसार, इसके पहले भी बच्ची दो बार अस्पताल में भर्ती हो चुकी थी। जहां इलाज करने के बाद वह ठीक हो गई थी।
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