अधिवेशन के पहले ही दिन शहर का राजनीतिक माहौल रहा गर्म, चार अलग-अलग मोर्चों ने अपनी मांगों को लेकर निकाली रैली
नागपुर: शीतकालीन अधिवेशन के पहले ही दिन शहर का राजनीतिक माहौल गर्म रहा। चार अलग-अलग मोर्चों ने अपनी लंबित व महत्वपूर्ण मांगों को लेकर यशवंत स्टेडियम से मोर्चा पॉइंट तक रैली निकाली और सरकार को निवेदन सौंपा। विदर्भ विकलांग संघर्ष समिति, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर विकास मंच, युवा शैक्षणिक व सामाजिक न्याय संगठन तथा दिंडोरा प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच अपनी आवाज बुलंद की और सरकार का ध्यान अपनी समस्याओं और मांगों की ओर आकर्षित किया।
शीतकालीन अधिवेशन की शुरुआत के साथ ही नागपुर की सड़कों पर जनआक्रोश और उम्मीदों की आवाजें गूंज उठीं। शहर का राजनीतिक तापमान उस समय और बढ़ गया जब चार अलग-अलग सामाजिक व जनहित से जुड़े मोर्चों ने अपनी-अपनी महत्वपूर्ण और लंबित मांगों को लेकर एकजुट होकर शक्ति प्रदर्शन किया। यशवंत स्टेडियम से लेकर मोर्चा पॉइंट तक निकली इन शांतिपूर्ण रैलियों में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए और उन्होंने सरकार के सामने अपनी समस्याओं को गंभीरता से रखने की मांग की।
रैली के दौरान पुलिस प्रशासन ने भारी बंदोबस्त किया था। भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मार्गों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया। बावजूद इसके, विकलांग संघर्ष समिति के मोर्चे को छोड़कर आंदोलन शांतिपूर्ण और अनुशासनपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ। कार्यकर्ताओं ने डफली, पोस्टर और बैनरों के माध्यम से अपनी मांगों को उजागर किया और अधिवेशन में बैठे जनप्रतिनिधियों तक अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश की।
विदर्भ विकलांग संघर्ष समिति ने विकलांग नागरिकों के लिए सुविधाओं, सहायता राशि में बढ़ोतरी, और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग उठाई। मोर्चेकारियों ने आरोप लगाया कि पिछली बार भी उन्होंने मोर्चा निकाला और सरकार को अपनी विभिन्न मांगों का ज्ञापन भी सौंपा बावजूद इसके उनके इन मांगों का कोई भी समाधान नहीं निकला। हालांकि कुछ देर के लिए मोर्चा पॉइंट पर विकलांग बांधव उग्र हो गए और बैरिकेड तोड़कर आगे जाने की जिद करने लगे। बाद में पुलिसकर्मियों ने मोर्चा संभाला और आंदोलन कार्यों को शांत करवा कर स्थिति को संभाला
वहीं डॉ बाबासाहेब आंबेडकर विकास मंच ने सामाजिक न्याय, आर्थिक विकास और पिछड़े वर्गों के लिए ठोस नीतिगत निर्णय लेने की जरूरत पर जोर दिया और संगठित होकर सरकार के दरबार में अपनी आवाज बुलंद की। युवा शैक्षणिक व सामाजिक न्याय संगठन ने बेरोजगारी, शिक्षण में असमानता और छात्रों के लिए सरकारी सहायता बढ़ाने की मांग दोहराई। दिंडोरा प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति ने प्रकल्प से प्रभावित नागरिकों के पुनर्वसन, मुआवजा और भूमि अधिकार से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
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