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Nagpur

विदर्भ के नेताओं पर भड़के उद्धव गुट विधायक अंबादास दानवे, कहा- पिछड़े पन के यही जिम्मेदार


नागपुर: विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने विकास में विदर्भ के पिछड़ने के लिए विदर्भ के नेताओं को जिम्मेदार बताया है। सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता में दानवे ने कहा कि, यहां के नेताओं की कामों के कारण इस क्षेत्र का विकास नहीं हुआ है। इसी के साथ यवतमाल में आई बाढ़ को लेकर जलप्रदाय विभाग के कार्यप्रणाली को जिम्मेदार बताया है। 

शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद से उद्धव गुट लगातार बागियों पर हमलावर है। शिवसेना के नेता बागियों के क्षेत्रों में रैली कर उनको घेरने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं विदर्भ का जिम्मा दानवे को दिया गया है। इसी को लेकर शिवसेना नेता विदर्भ दौरे पर निकले हैं। इस दौरान वह सभी 11 जिलों में दौरा कर बागियों को उनके क्षेत्र में ही घेरने की नीति बनाई है।

किसानों को नहीं मिला मुआवजा 

दानवे ने राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार को घेरते हुए कहा कि, "जुलाई महीने में हुई बारिश के कारण किसानों की बड़ी संख्या में फसल बाह गई। वहीं बड़ी मुश्किलों से किसानों ने दोबारा बुवाई की लेकिन फिर आई बाढ़ से बची हुई फसल पानी में बह गई। लगातार तीन बार आई बाढ़ के कारण किसानों को बड़ा नुकसान हुआ। तत्काल मदद की राह देखने वाले किसानों को सरकार ने मदद नहीं की। राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने किसानों को राहत देने के लिए तीन हजार करोड़ रूपये की राशि आवंटित की, लेकिन हालात यह है कि अभी तक किसी को कुछ नहीं मिल पाया है। किसान अभी भी मदद के इंताजर में बैठे हैं। वहीं कईयों किसानों ने आत्महत्या कर अपना जीवन समाप्त कर दिया।"

उन्होंने आगे कहा, यवतमाल जिले के 30 गांव ऐसे हैं जो जहां बारिश की बाढ़ ने नहीं डैम से छोड़े गए पानी के कारण बाढ़ आई है। जलप्रदाय विभाग के सही ने नियोजन नहीं करने के कारण किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होने पद रहा है। वहीं इस बाढ़ में सैकड़ो की संख्या में जानवर मरे हैं। लेकिन जिन जानवरों का पोस्टमार्टम हुआ उनको मुआवजा देने की बात कही लेकिन जिनका नहीं हुआ है उनके लिए कुछ नहीं।"

नागपुर सहित विदर्भ का विकास नहीं 

नागपुर सहित विदर्भ विकास के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि, कहा जाता है कि नागपुर सहित विदर्भ में कई योजना लाई जारही है, लेकिन स्थिति यह है कि, यहां यहां कोई विकास नहीं हुआ है। यहां के नेता क्षेत्र के विकास के लिए बड़े-बड़े दावे किये जाते हैं, लेकिन जमीन पर वह दीखता नहीं है। इस क्षेत्र के विकास के लिए जिन प्रतिनिधियों को चुना जाता है। वह अपने क्षेत्र में उद्योग लगाने की बात नहीं करते हैं।"