विदर्भ विकास महामंडल: पूर्व सदस्य चंद्रयान ने राज्यपाल पर उठाया सवाल, कहा- चाहते तो पुनर्गठन का प्रयास कर सकते थे

नागपुर: राज्य सरकार ने विदर्भ के विकास के लिए बनाए गए महत्वपूर्ण संस्था विदर्भ वैधानिक विकास महामंडल के पुनर्गठन का फैसला लिया है। कार्यकाल समाप्त होने के लगभग दो साल के बाद महामंडल के पुनर्गठन का फ़ैसला लिया है। एक ओर जहां सरकार के इस निर्णय को महामंडल के समर्थकों ने स्वागत किया है। वहीं कईयों के हुई देरी को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी पर सवाल उठाया है। विकास महामण्डल के पूर्व सदस्य रहे डॉ कलिप चंद्रयान ने कहा कि, महामंडल को पुनर्गठन में हुई देरी के लिए सरकार के साथ राज्यपाल भी जिम्मेदार हैं। अगर वह चाहते तो इसे फिर से बनाने का प्रयास कर सकते थे।
चंद्रयान ने कहा, "वैसे नियम के तहत ऐसे महामंडल के संरक्षक की भूमिका राज्यपाल की होती है। जानकर यह भी मानते है की अगर राज्यपाल खुद भी चाहते तो पहल कर इसके पुनर्गठन की कोशिश कर सकते थे। या सरकार को इसके लिए निर्देशित कर सकते थे पर हुआ इसके विपरीत राज्यपाल राज्य सरकार से सिफारिश का इंतजार करते रहे और सरकार ने प्रस्ताव भेजा ही नहीं।" उन्होंने कहा, "यह मसला दो साल तक यूँ ही लटका रह गया.अब पुनर्गठन की प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू किया जायेगा जिसमे बोर्ड के गठन की प्रक्रिया में समय जायाहोगा।"
आखिरी कैबिनेट में दी थी एमवीए ने मंजूरी
वैसे महाविकास आघाड़ी सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में यानि 30 अप्रैल 2022 को महामंडल के कार्यकाल को बढ़ाने की सिफारिश की थी। जिसे नई सरकार ने मंगलवार को ली गई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी.इस दौर में महामंडल के पुनर्गठन को लेकर अदालत में याचिका भी दाखिल की गयी। यहाँ यह जान लेना भी खास है की विदर्भ के लिए आवाज बुलंद करने वाला एक धड़ा महामंडल के माध्यम से विदर्भ के विकास को तरजीह देता है। जबकि विदर्भ राज्य का समर्थन करने वालों का धड़ा महामंडल की संकल्पना को अलग राज्य निर्माण में रोड़ा समझाता है।
सरकार के फैसले का स्वागत
पिछड़ेपन के दंश को झेल रहे राज्य के कुछ खास हिस्सों में विकास की रफ़्तार को बढ़ाने की जिम्मेदारी विकास महामंडल के जिम्मे है। विशेष संवैधानिक प्रावधान के साथ गठित विदर्भ वैधानिक विकास महामण्डल का प्रमुख मक़सद राज्य के अन्य हिस्सों के साथ विदर्भ राज्य के समतोल विकास का ही है.लेकिन 30 अप्रैल 2020 को कार्यकाल समाप्त होने के बाद इसे बढ़ाये जाने की प्रक्रिया नहीं हुई जिस वजह से अब महामंडल का नए सिरे से गठन किया जायेगा। लगभग दो साल के बाद यह निर्णय हुआ है जिसका विदर्भ के विकास के लिए महामंडल की भूमिका को महत्वपूर्ण मानने वाले लोग स्वागत कर रहे है।

admin
News Admin