वाह रे वाह नागपुर पुलिस-क़ानून का पालन कराने गई और खुद क़ानून हांथ में ले लिया

नागपुर: मीडिया के कैमरों के सामने नागपुर पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सोशल पुलिसिंग की डींगे हांकते नहीं थकती दूसरी तरफ पुलिसकर्मी कभी कभार कुछ ऐसा कर गुजरते है की पुलिस को शर्मसार होना पड़ता है.कुछ ऐसा ही एक मामला नागपुर शहर के गणेशपेठ पुलिस थाने कार्यक्षेत्र के मातहत सामने आया है.जहा नियम-क़ानुन का पालन कराने के लिए पहुंचे कुछ पुलिसकर्मियों ने क़ानून को हांथ में लेकर तोड़फोड़ की.इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ासा वायरल हो रहा है.जिसके चलते नागपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे थे.इस मामले में पुलिस भले ही नियम का पालन करने के लिए ऐसा कर रही हो लेकिन जो तरीका पुलिसकर्मियों के द्वारा अपनाया गया उसे जायज़ तो किसी भी तरह से नहीं ठहराया जा सकता है.
घटना गणेशपेठ इलाके में बस स्टैंड के सामने की है.यहाँ कुछ पुलिसकर्मी संचालित होने वाले होटल अंबिका पहुंचे।यहाँ होटल संचालक से किसी बात को लेकर पुलिसकर्मियों की कहा सुनी हो गई जिसके बाद पुलिसकर्मी होटल में रखी टेबल कुर्सियां फेंकने लगे.वहा मौजूद किसी व्यक्ति ने पुलिसकर्मियों की इस हरकत का वीडियो बना लिया जो अब सोशल मीडिया में ख़ासा वायरल हो रहा है.मामला बढ़ने के बाद अब वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इस मामले की जाँच के आदेश दिए जाने की जानकारी भी निकल कर सामने आयी है.इस मामले में पुलिस और होटल संचालक की अपनी-अपनी दलील है.
गणेशपेठ पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक भरत क्षीरसागर ने एक अख़बार को दिए बयान में बताया की पुलिस कंट्रोल रूम को शिकायत मिलने के बाद बीट मार्शल घटना वाली जगह पहुंचे थे. जिसने कंट्रोल रूम को फोन किया था उसका ऑफिस बगल में ही है.होटल संचालक सार्वजनिक जगह पर अतिक्रमण कर रास्ते को बंद कर दिया था.वहा पहुंचे होटल मालिक टेबल-कुर्सियां हटाने को तैयार नहीं था.पुलिस ने सिर्फ सामान को हटाकर बगल में किया। इसी का किसी ने वीडियो बना लिया।
वही होटल के संचालक अनुज पांडे के मुताबिक वह अपनी दुकान का शटर खोलकर आने जाने वालों को रास्ता देते है लेकिन वो ऐसा कब तक कर सकता है क्यूंकि उसने भी दुकान ख़रीदी की है.अन्य दुकानदार मेरी दुकान के शटर से आना जाना करते है.मै शटर बंद कर चला गया तो यह बवाल हो गया.
जिस जगह यह विवाद घटा वहां स्वाद और अम्बिका नाम के दो होटल चलते है बताया गया है की शाम होने के बाद होटल संचालक टेबल और कुर्सियां सार्वजनिक जगह पर लगा देते है.पुलिस का कहना है की उन्होंने होटल संचालक को ऐसा करने से मना किया लेकिन वो नहीं माना और बहस करने लगा.वजह चाहे जो रही हो लेकिन क़ानून को अमल में लाने के लिए जो तरीका पुलिसकर्मियों द्वारा अपनाया गया.वह जायज़ तो नहीं ही ठहराया जा सकता है.

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